रायगढ़
कीट-व्याधि के प्रकोप का मंडराने लगा खतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 31 अक्टूबर। मोंथा तूफान के चक्रवाती हवाओं के प्रकोप से हुई बारिश और मौसम की बेरहम मार से रायगढ़ जिले का कोई भी इलाका अछूता नहीं रह गया है, जहां धान की फसल को नुकसान नहीं पहुंचा हो। बेमौसम हुई इस आफत की बारिश से जिले में धान की फसल की जो बर्बादी हुई है उसकी तस्वीर सामने आने लगी है।
इस साल किसान धान की अच्छी फसल होने की उम्मीद से प्रफुल्लित थे, धान बेचकर वे अपने सपनों को संजोने की तैयारी कर रहे थे मगर चक्रवाती तूफान मोंथा के कारण बेमौसम हुई बारिश ने किसानों के सारे अरमानों पर पानी फेर दिया है। किसान अब अपने माथे पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। उन्हें अब अपने फसल के बर्बादी की चिंता खाये जा रही है क्योंकि बेमौसम बारिश की धान की फसलों पर जबरदस्त मार पड़ी है। जो फसल बच गई हैं, खेतो में सो गई हैं, यदि वह फिर से उठ खड़ी होगी तो उस पर कीट-व्याधि का प्रकोप मंडराने लगेगा जो उनकी बची खुची फसल को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
किसानों की मानें तो जो धान काटकर उन्होंने खेतों में सूखने के लिए छोड़ दिये थे उनके बारिश के पानी में डूबने के कारण चावल की क्वालिटी खराब होगी और चावल निकलेगा भी पाखड़ जबकि जो धान झड़ गये हैं वो खेत में ही अंकुरित हो जाऐंगे। किसानों के अनुसार इस बेमौसम बारिश के कारण देरी से पकने वाले धान की किस्म और बड़ा धान जिसकी अभी बाली निकल रही थी उसे काफी नुकसान पहुंचा है। बड़ा धान हवा और बारिश के कारण खेत में सो गये हैं और उसकी बाली पानी में डूब गई है जिसके कारण धान में बदरा अधिक निकलेगा। मौसम में अगर जल्द सुधार नहीं हुआ तो जो धान की फसल बरसात के कारण बर्बाद होने से बच गई है उसमें कीट व्याधि का प्रकोप होने की आशंका है। बचे हुए धान की फसल पर माहो और तना छेदक कीड़ों के लगने का खतरा मंडरा रहा है।
किसानों की चिंता इस लिए भी बढ़ गयी है क्योंकि बेमौसम बारिश के बाद उनपर अब आर्थिक भार भी बढ़ेगा। बारिश की वजह से तैयार फसल की कटाई पर बुरा असर तो पड़ेगा ही, खेत की मिट्टी गीली होने के कारण हार्वेस्टर से कटाई नहीं हो पाएगी। जिसके चलते 15 नवम्बर से शुरू होने वाली धान की खरीदी भी प्रभावित होगी। बारिश की वजह से कटाई और मिसाई के काम पर प्रतिकूल असर पडऩे के कारण धान खरीदी केंद्रों में धान की आवक कम होने की संभावना है। अब किसान इस प्राकृतिक आपदा पर राज्य शासन पर उम्मीद जमाये बैठे हैं ताकि उनके फसल नुकसानी की पूरी तो नहीं पर थोड़ी बहुत भरपायी हो सके।


