रायगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 10 सितंबर। जिला मुख्यालय में रहने वाला हैं धर्मेंद्र सिंह राजपूत, जो बीते 7 साल से निस्वार्थ भाव से नि: शुल्क काम करतें हुए अब तक 22 हजार से भी अधिक सांपों का ना केवल सुरक्षित रेस्क्यू कर चुका हैं बल्कि उन्हें नई जिन्दगी देने में भी इसका प्रमुख योगदान रहा हैं, जिसे आज लोग सांपों के रक्षक के नाम से भी जानते हैं।
साँप का नाम सुनते ही हर किसी का रोंगटे खड़े हो जाता हैं। साँप चाहे जहरीला हो या बगैर जहर वाला यह मायने नही रखता। शहरी इलाकों से लेकर ग्रामीण अंचलो तक लोगों के घरों, दुकानों और गोदामों में घुसे सांपों का सुरक्षित रेस्क्यू करना और उन्हें जंगल में सुरक्षित छोडऩा बीते कई सालों से रायगढ़ के युवा धर्मेंद्र सिंह राजपूत के लिए एक मिशन बन चुका है। शहर के इस युवा ने 2018 में रायगढ़ एनिमल सेवा समिति के बैनर के तहत अपनी टीम के साथ नि:शुल्क काम की शुरुआत कर चुका हैं, जो आज भी निरंतर जारी है।
मिले चुके हैं 28 प्रजाति के साँप
धर्मेंद्र सिंह राजपूत ने बताया की अभी तक उसने जिले में 28 प्रजातियों के सांपो को ना केवल देख चुका है बल्कि उनका सुरक्षित रेस्क्यू करने का अनुभव भी प्राप्त कर चुका है। इन 28 प्रजातियों के सांपों में अजगर, धामन, बुल्फ स्नेक, कुकरी स्नेक, सेट बोला स्नेक, कैट स्नेक, फोस्टेन कैट स्नेक, ब्रांडे रसेल सांप, ब्रोजेबैक स्नेक, ट्रिकेट स्नेक, धारीदार कील बैक, इंडियन चेक्ड किल बैक स्नेक, अंधा सांप, अखरोह कुकरी, गोह सांप के अलावा जहरीले सांपों में अहिराज, कोबरा भारतीय नाग, रसेल वाइपर, स्केल्ड वाइपर सांप, पिट बाईपर, करैत, सिंधु करैत, सफेद नाग के अलावा अन्य सांपों की प्रजाति मिल चुकी है।
धर्मेंद्र सिंह राजपूत ने बताया की साल भर उनके पास रेस्क्यू के लिए कॉल आते रहता हैं खास कर बरसात के दिनों में रोजाना 13 से 14 रेस्क्यू कॉल आता है, गर्मी के दिनों में 5 से 6 तो ठण्ड में रोजाना 2 से 3 रेस्क्यू कॉल आते हैं और अब तक एक दिन में उनके पास रिकार्ड 35 रेस्क्यू कॉल आ चुका है। जिसे उनकी टीम ने पूरा भी किया है।