महासमुन्द

​हमें अपनी जमीन, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए-भैरव पाल
24-Nov-2025 2:59 PM
​हमें अपनी जमीन, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए-भैरव पाल

वल्लभाचार्य कॉलेज में बिरसा मुंडा के गौरवशाली अतीत पर व्याख्यान, रंगोली-पोस्टर स्पर्धा भी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

महासमुंद,24 नवंबर। शासकीय महाप्रभु वल्लभाचार्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय महासमुंद में प्राचार्य करुणा दुबे एवं योगेश्वर राजू सिन्हा विधायक विधानसभा महासमुंद व अध्यक्ष जनभागीदारी प्रबंधन समिति महाविद्यालय महासमुंद के मार्गदर्शन में कल 22 नवम्बर  शनिवार को पूर्वान्ह 11 बजे से जनजातीय समाज का गौरवशाली अतीत ऐतिहासिक सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया।

उक्त कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं वक्ता भैरव पाल समाज सेवक थे। अध्यक्षता प्रो.करुणा दुबे प्राचार्य ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में कमलेश ध्रुव अध्यक्ष केन्द्रीय गोंड महासभा धमधागढ़, प्रांतीय उपाध्यक्ष अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ, प्रमिला ध्रुव सरपंच ग्राम पंचायत मचेवा, डॉ रीता पांडेय कला संकाय प्रमुख, के के ध्रुव सरपंच प्रतिनिधि, संयोजक मनबोध चौहान सहायक प्राध्यापक वाणिज्य, सह संयोजक गेश्वर सिंह दीवान छात्रावास अधीक्षक मंचस्थ रहे।

स्वागत उद्बोधन में प्रोफेसर करुणा दुबे ने कहा कि बिरसा मुंडा के स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने अपने जीवन में सामाजिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक योगदान देकर जनजाति समाज को आगे लाने का प्रयास  किया। मुख्य वक्ता भैरव पाल ने कहा कि बिरसा मुंडा एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनका जन्म 15 नवंबर 1875 को झारखंड के खूंटी जिले के उलिहातु गांव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवनकाल में अंग्रेजों के खिलाफ  लड़ाई लड़ी और अपने समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष किया। बिरसा मुंडा को धरती आबा के नाम से भी जाना जाता है। जिसका अर्थ है पृथ्वी के पिता। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को संगठित किया और अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। उनकी मृत्यु 9 जून 1900 को हुई थी। लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है और वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नायक माने जाते हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे समाज में स्वतंत्रता, समानताए और न्याय की लड़ाई जारी है। बिरसा जी ने हमें सिखाया कि हमें अपनी जमीन, अपनी संस्कृति और अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए। आइए हम उनके सपनों को पूरा करने के लिए एकजुट हों और अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए काम करें।

 


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