महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 10 अक्टूबर। शहर सहित अंचल भर के खरीफ सीजन की धान फसल में इन दिनों भूरा माहो, शीथ ब्लाइट कीट ने अटैक कर दिया है। ये कीट तेजी से एक खेत से दूसरे खेतों में फैल रहे हैं। फलस्वरूप किसान पहले बारिश को लेकर चिंतित थे। अब कीट की रोकथाम को लेकर चिंतित हैं। खासतौर पर अर्ली वेरायटी वाली धान की फसलें इससे अधिक प्रभावित हैं। किसान कीट से अपनी फसल बचाने के लिये विभिन्न दवाओं का छिडक़ाव कर रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार पिछले पखवाड़े भर से मौसम के उतार-चढ़ाव की वजह से फसलों पर कीट ने हमला बोल दिया है। कीट प्रकोप को लेकर किसान क्षेत्र के आरईओ तथा कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक भूरा माहो का प्रकोप 1001 महामाया तथा इसी तरह की किस्मों पर अधिक है। जानकारी के अनुसार अर्ली वेरायटी की फसल में अब धान की बालियां आने लगी है। कहीं-कहीं बालियां आ भी गई हैं। लगभग पखवाड़े भर बाद धान की कटाई भी शुरू हो जायेगी। ऐसे में कीट व्याधि किसानों की मेहनत पर पानी फेर सकते हैं। मिली जानकारी के अनुसार बारिश की वजह से कहीं-कहीं पौधे जमीन पर गिये गये हैं।
किसानों का कहना है कि इससे चावल में टूट की शिकायत बढ़ेगी। वहीं कटाई व मिंजाई में भी अतिरिक्त परेशानी उठानी पड़ेगी। जमीन गीली होने के कारण खेतों तक मशीन पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। शीथ ब्लाइट के साथ धान की फसल पर भूरा माहो का भी प्रकोप दिख रहा है। विशेष कर स्वर्णा व महामाया किस्म की धान पर इसका फैलाव तेजी से फैल रहा है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि शीथ ब्लाइट या गलन एक फफूंद जनित बीमारी है, जो धान के नर्सरी से पकने वाली अवस्था तक पौधों को संक्रमित करती है। जिसका निदान कर सकते हैं। लेकिन यदि भूरा माहो जो एक रस चूसक कीट है, इन दोनों समस्याओं का एक साथ होना एक विकट समस्या है। अनुसंधान प्रयोगों के परिणामों के आधार पर शीथ ब्लाइट राइजोक्टोनिया, सोलानाई फफूं द से होता है, जो धान के निचले हिस्से को कमजोर कर देता है तथा भूरा माहो के बढ़वार के लिए अनुकूल परिस्थिति पैदा करता है। असमय बारिश से जहां अर्ली वैरायटी के धान की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
वहीं नमी के साथ उमस भरी भरी गर्मी के कारण मौसम कीट.व्याधियों के अनुकूल हो गया है। इसके चलते बीमारियों का प्रकोप तेजी से हो रहा है। बारिश के चलते अर्ली वेरायटी के धान जमीन पर गिर गए हैं। ऐसे धान की गुणवत्ता प्रभावित होगी। चावल में दाग के साथ ही शीथ ब्लास्ट का प्रकोप तेजी से हो रहा है। इसके बाद फसल में कीटनाशकों का भी असर नहीं हो रहा। किसानों के मुताबिक इस साल धान फसल में पहले तना छेदक, पेनिकल माइट के बाद भूरा माहो तथा शीथ ब्लाइट के एक साथ प्रकोप होने से फसल को ज्यादा नुकसान हो रहा है।
एफ आर कश्यप, उप संचालक कृषि महासमुंद का कहना है कि मौसम के उतार-चढ़ाव के साथ फसलों में कीट व्याधियां शुरू हो जाती है। यदि खेतों में पानी भरा रहे तो उसे मेढक़ आदि जीव चट कर देते हैं। अगर केवल नमी है तो भूरा माहो सहित अन्य कीट अटैक कर देते हैं। कीट प्रकोप वाली स्थिति में तत्काल आरईओ से संपर्क कर दवाओं को छिडक़ाव करें साथ ही बाहर की ओर से घेराव करते खेत के मध्य जावें। ताकि कीट नष्ट हो सके। अन्यथा कीट अन्य खेतों में हमला करेंगे।