महासमुन्द

शक्ति के बिना राष्ट्र का पुनरूत्थान संभव नहीं - उमेश
12-Sep-2024 3:39 PM
शक्ति के बिना राष्ट्र का पुनरूत्थान संभव नहीं - उमेश

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
महासमुंद, 12सितंबर।
दिग्विजय दिवस पर खरोरा स्कूल में कार्यक्रम   उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य हासिल न हो जाए इस मंत्र को देने वाले स्वामी विवेकानंद भारतीय पुनर्जागरण के पुरोधा है। उन्होंने शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में विदेश की धरती पर भारतीय सनातन संस्कृति का ध्वज लहराया। उक्त विचार थे विश्व दिग्विजय दिवस के अवसर पर मिडिल स्कूल खरोरा में आयोजित कार्यक्रम में प्रधान पाठक उमेश भारती गोस्वामी के। 

उन्होंने कहा कि शक्ति के बिना राष्ट्र का पुनरूत्थान संभव नहीं है। संस्कृति के संवर्द्धन, सुरक्षा व संप्रेषण में युवाओं व मातृशक्ति की सहभागिता बढ़ाने के उद्देश्य से समाज के विभिन्न स्तरों में संस्कार तथा समरसता को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। युवाओं के उत्थान से ही राष्ट्र का उत्थान संभव है और तभी आज के दिन को दिग्विजय दिवस  के रूप में मनाना सार्थक होगा।

कार्यक्रम के अतिथि दीदी मनु चन्द्राकर ने कहा -स्वामी जी के विराट व्यक्तित्व का अनुसरण कर सशक्त भारत का निर्माण कर सकते हैं।
पालक समूह का प्रतिनिधित्व कर रही मनीषा चन्द्राकर ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का संदेश भारत को नवीन ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए प्रेरित करेगा।

प्रभा चन्द्राकर ने स्वामी जी के शिकागो भाषण पर विचार व्यक्त करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम् का भाव लेकर समाज और राष्ट्र निर्माण में जुटने की अपील की।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए शिक्षक दुबे कुमार पटेल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद कर्मयोग, ज्ञानयोग, भक्तियोग, राजयोग, शिक्षा के पुरज़ोर प्रतिपादक थे। वे नारी का बहुत सम्मान करते थे। 
उन्होंने जागृति का संदेश देते हुए सामाजिक क्रांति एवं सुधार की संभावनाओं की दिशा में पहल की थी। स्?वामी विवेकानंद का जीवन ही एक संदेश है जिससे हमें प्रेरणा मिलती है।

इस अवसर पर छात्रा समूह द्वारा ‘जिनके ओजस्वी वचनों से गूंज उठा था विश्व गगन, वहीं प्रेरणा पुंज हमारे स्वामी पूज्य विवेकानंद’  गीत प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में शिक्षिका रामेश्वरी ध्रुव, मोना चन्द्राकर व बाल संसद का सराहनीय योगदान रहा।  


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