महासमुन्द

स्कूल में शिक्षक नहीं, विद्यार्थी-पालक परेशान
21-Aug-2021 6:58 PM
स्कूल में शिक्षक नहीं, विद्यार्थी-पालक परेशान

एकमात्र शिक्षक की कोरोना  से  मृत्यु हो गई थी

पिथौरा, 21 अगस्त (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। महासमुन्द जिले के दूरस्थ विकासखण्ड सराईपाली के ग्राम सिंघोड़ा का हाई स्कूल एक चपरासी के भरोसे ही चल रहा है। ज्ञात हो कि उक्त स्कूल में पदस्थ एक मात्र शिक्षक की मौत कोरोना संक्रमण के कारण हो गयी थी। उसके स्थान पर अब तक किसी शिक्षक की नियुक्ति नहीं की गई है।

  प्रदेश में कोरोना संक्रमण के चलते लंबे अंतराल के बाद अब स्कूलों को 2 अगस्त से पढ़ाई के लिए खोल दिया गया है, लेकिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों की पढ़ाई आज भी प्रभावित है। ऐसा ही एक मामला महासमुंद जिले के सिंघोड़ा से सामने आया है । जहां के हाई स्कूल में पिछले तीन साल से शिक्षक की कमी है और अब हालात यह है कि स्कूल में पदस्थ एक मात्र शिक्षक की भी कोरोना से मौत के बाद यह स्कूल शिक्षक विहीन हो गया है और अब यह एक चपरासी के भरोसे स्कूल खुल रहा है। जहां बच्चे शिक्षक विहिन स्कूल में पढ़ाई करने आते तो हैं परन्तु इस स्कूल में पढ़ाई कैसे चल रही होगी, यह आसानी से समझ जा सकता है। ग्रामीण बच्चों के भविष्य को लेकर प्रशासन से गुहार लगा रहे है, वहीं अधिकारी अब संज्ञान लेने की बात करते हुए जल्द वैकल्पिक व्यवस्था करने की बात कह रहे हैं। 

खाली कमरे खाली कुर्सियां
उक्त स्कूल को प्रत्यक्ष देखने पर वहां बिना शिक्षक के ही बच्चे बैठे दिखे। स्टॉफ रूम की खाली कुर्सियां और तो और प्राचार्य रूम का  खाली पड़ा कमरा, इस स्कूल की कहानी खुद ही बयां कर रहा है। 

ज्ञात हो कि महासमुंद जिले के ओडिशा सीमा पर स्थित ग्राम सिंघोड़ा के उक्त हाई स्कूल में पिछले 3 साल से शिक्षकों की तो कमी है ही, अब हालात यह हो गये है कि, यहां पदस्थ एक शिक्षक जिसके भरोसे स्कूल संचालित होता था, उनकी भी मौत कोरोना में होने के बाद यह स्कूल अब शिक्षक विहीन हो गया है और यहां पढऩे वाले 9वीं और 10वीं के 78 बच्चों का भविष्य अधर में है।

यहां औपचारिक व्यवस्था के बगैर ही 2 अगस्त से स्कूल को खोल दिया गया है। जहां चपरासी स्कूल खोल देता है और बच्चें स्कूल सिर्फ खेलने जाते हैं। इस बात को लेकर बच्चों के परिजन काफी परेशान हैं और कलेक्टर व जिला शिक्षा अधिकारी से गुहार लगा रहे हैं। 

पालकों कहना है कि जब से स्कूल खुला है, तब से शिक्षकों की कमी यहां है और इस बात को लेकर कई बार पालक आंदोलन कर चुके हैं। अब तो ये स्कूल शिक्षक विहीन हो चुका है, यही हालात रहा तो बच्चों का पढ़ाई बंद करवा कर उन्हें बकरी चराना होगा।

 जिले के सहायक संचालक शिक्षा विभाग सतीश नायर ने उक्त संबंध में बताया कि उनके संज्ञान में ये मामला अभी आया है। उन्होंने इसकी वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बीईओ सराईपाली को निर्देश दिए है। 
 


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