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भारत-चीन सीमा पर मरने वालों में 5 बिहार के
18-Jun-2020 9:42 AM
भारत-चीन सीमा पर मरने वालों में 5 बिहार के

सिपाही अमन कुमार


परिवारों पर टूटा पहाड़, गांव डूबे गम में 
सीटू तिवारी
पटना से, बीबीसी हिंदी के लिए
"बेटा हमारे साथ रहता, हम नमक रोटी खा कर रह लेते." रेणू देवी बार-बार ये कह रही हैं. ना तो उनके आंसू थम रहे हैं और ना ही उनके घर सांत्वना देने वालों का तांता थम रहा है.

रेणू देवी, भारतीय सैनिक अमन कुमार सिंह की मां हैं, जो सोमवार रात हुई भारत-चीन सैनिकों की हिंसक झड़प में मारे गए हैं. अमन बिहार के समस्तीपुर ज़िले के मोहीउद्दीन नगर प्रखंड के सुल्तानपुर गांव के रहने वाले थे.

उनके अलावा बिहार के चार और जवान इस हिंसक झड़प में मारे गए हैं. इनमें पटना के हवलदार सुनील कुमार, भोजपुर के सिपाही चंदन कुमार, सहरसा के सिपाही कुंदन कुमार और वैशाली के सिपाही जय किशोर सिंह शामिल हैं.

एक साल पहले हुई थी शादी

   सिपाही अमन कुमार की मां  ( फोटो क्रेडिट -MANTU KUMAR )

सिपाही अमन कुमार सिंह के पिता सुधीर कुमार ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया, "रात 9 बजे के क़रीब किसी का फ़ोन आया था. फ़ोन उठाया तो उन्होंने पूछा कि आप कौन बोल रहे हैं? मैने बताया कि उसका पापा बोल रहा हूं, तो दूसरी तरफ़ से बस इतना कहा गया कि 'अमन शहीद हो गए.' ये कहकर फ़ोन काट दिया गया. हम आगे कुछ नहीं पूछ पाए. रात में उस नंबर पर कई बार फ़ोन लगाया तो फ़ोन नहीं लगा. सुबह फ़ोन लगा है तो बताया गया है कि शव आएगा."

25 साल के अमन की शादी बीते साल 27 फ़रवरी को हुई थी. पटना ज़िले के बाढ़ के राणाविद्दा गांव की मीनू देवी से उनकी शादी हुई थी. अमन के गांव सुल्तानपुर के साथ-साथ राणाविद्दा में भी ग़म पसरा हुआ है.

पति की मौत की ख़बर सुनकर मीनू देवी का रो-रोकर बुरा हाल है. वो कहती हैं, "फ़रवरी में आए थे तो बोले थे कि जल्दी आएंगे. उनकी पोस्टिंग लेह हो रही थी. लेकिन अब वो नहीं आएंगे."

पिता का इलाज कराने आना था

      अमन की पत्नी मीनू देवी  ( फोटो क्रेडिट -MANTU KUMAR )

अमन के पिता सुधीर कुमार दिल के मरीज़ हैं. बीते साल उनका ऑपरेशन दिल्ली में हुआ था. ऑपरेशन बाद की जाँच कराने के लिए उन्हें घर आना था.

अमन के रिश्तेदार और स्थानीय नेता रणवीर बताते हैं, "पाँच दिन पहले उसने अपनी पत्नी से फ़ोन पर बात की थी और कहा था कि जुलाई में डॉक्टर ने पिताजी को जाँच के लिए बुलाया है तो इससे पहले वो घर आ जाएंगे."
अमन के दो भाई और एक बहन हैं. बहन जहां बिहार पुलिस में कार्यरत हैं, वहीं बड़े भाई राहुल प्राइवेट नौकरी करते हैं और छोटे भाई रोहित पढ़ाई कर रहे हैं.

सिपाही अमन कुमार ( फोटो क्रेडिट -MANTU KUMAR )

गौरव की बात है'

अमन का परिवार मूल रूप से खेती-किसानी से जुड़ा परिवार है.

पिता सुधीर कहते हैं, "हमें सरकार से कोई गिला-शिकवा नहीं. बल्कि हमें गर्व है कि मेरा बेटा देश सेवा में बलिदान हुआ है. इससे ज़्यादा गर्व की बात क्या हो सकती है. बाक़ी मेरा बेटा था तो तकलीफ़ तो हमको होगी ही."

सुधीर कुमार चाहते हैं कि सरकार उनके परिवार में किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी दे, ताकि रोज़ी-रोटी की दिक़्क़त नहीं हो.

सहरसा के सत्तरकटैया के कुंदन

     सिपाही कुंदन कुमार ( फोटो क्रेडिट -LAL BAHADUR )

अमन के घर जैसा ग़म का माहौल सहरसा के सत्तरकटैया प्रखंड के आरण गांव में भी पसरा है. निमिंदर यादव के घर के दालान में बीती रात से ही आने जाने वाला का सिलसिला नहीं टूट रहा है. इस गांव के कुंदन यादव भी हिंसक झड़प में मारे गए हैं.

कुंदन यादव अपने पीछे पत्नी बेबी देवी और दो बेटों 6 साल के रौशन और 4 साल के राणा कुमार को छोड़ गए हैं.

कुंदन के चचेरे भाई अमित कुमार ने बीबीसी से फ़ोन पर बताया, "रात तक़रीबन 10 बजे के आसपास फ़ोन आया था जिसमें कुंदन के शहीद होने की जानकारी दी गई थी. लेकिन उसके बाद उनका शव कब तक आएगा, ये जानकारी नहीं मिली है. हम लोगों ने अपनी तरफ़ से तैयारी पूरी कर ली है."

  कुंदन कुमार की पत्नी और बच्चे ( फोटो क्रेडिट -LAL BAHADUR )

किसान परिवार से हैं कुंदन
कुंदन के पिता निमिंदर यादव पेशे से किसान हैं. उनके परिवार से जुड़े 4 लोग सेना का हिस्सा हैं. परिवार वाले बताते हैं कि चार दिन पहले ही कुंदन का फ़ोन आया था.

इलाक़े के स्थानीय नेता प्रवीण आनंद ने बीबीसी को बताया, "फ़रवरी माह में अपने बेटों का मुंडन कराने कुंदन आए थे. उनकी इस शहादत पर हम सबको गर्व है. हमें गर्व है कि हमारे बीच का ही एक भाई जाते-जाते हमारे इलाक़े का नाम रौशन कर गया."

परिवार की ज़िम्मेदारी उठाए सरकार
बिहार से जिस तीसरे जवान की मौत हुई है वो पटना ज़िले के बिहटा प्रखंड की सिकरिया पंचायत के तारापुर के सुनील कुमार हैं.

सुनील के बड़े भाई अनिल कुमार ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया, "सुबह आठ बजे हम लोगों को जानकारी मिली है. शाम 6 बजे तक शव पहुंचने की उम्मीद है."

बासुदेव साह और रुकमणि देवी के बेटे सुनील कुमार सेना में साल 2002 में शामिल हुए थे. बेटे की मौत की ख़बर सुनकर बूढ़े पिता कुछ बोल नहीं पा रहे हैं और मां कहती हैं कि बेटा लॉकडाउन के चलते घर नहीं आ पाया.

  

सिपाही सुनील कुमार की मां रुकमणि देवी( फोटो क्रेडिट - ANAND KUMAR )

सुनील की पत्नी रीति देवी और उनके तीन बच्चे दानापुर में रहते हैं. सुनील की बेटी आठवीं कक्षा, उससे छोटा बेटा छठीं कक्षा और सबसे छोटा बेटा यूकेजी में पढ़ता है.

भाई अनिल कुमार ने सरकार से मांग की है कि सरकार परिवार की ज़िम्मेदारी उठाएं.

वो कहते हैं, "सुनील की पत्नी पढ़ी-लिखी है, उस आधार पर सरकार को उनको नौकरी देनी चाहिए और तीनों बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था करनी चाहिए."
चंदन कुमार के सारे भाई सेना में

चंदन कुमार के सारे भाई सेना में

       चंदन कुमार ( फोटो क्रेडिट - PRASHANT KUMAR )

भोजपुर के जगदीशपुर प्रखंड के कौरा पंचायत के ज्ञानपुरा गांव के रहने वाले सिपाही चंदन कुमार हिंसक झड़प में मारे गए हैं. 24 साल के चंदन चार महीने पहले ही अपने गांव आए थे.

उनके चचेरे भाई जितेन्द्र ने बीबीसी को फ़ोन पर बताया, "चंदन चार भाई हैं. उनके सबसे बड़े भाई देव कुमार सिंह, मंझले संजीत कुमार, उससे छोटे गोपाल सिंह सभी सेना में हैं. चंदन सबसे छोटा था. मंगलवार रात फ़ोन आया था लेकिन परिवार में पिताजी फ़ोन नहीं रिसीव कर पाए तो सुबह उसकी शहादत की सूचना मिली."

किसान पिता हृदयानंद सिंह के बेटे चंदन दो साल पहले ही सेना में शामिल हुए थे. बीते 6 दिनों से परिवार से उनकी बातचीत नहीं हो पाई थी जिसको लेकर परिवार घबराया हुआ था.

मंगलवार रात से ही भारतीय सैनिकों के मारे जाने की ख़बर सुनकर परिवार घबराया हुआ था.

पहले गंभीर होने की ख़बर, फिर मौत की ख़बर

जय किशोर सिंह की उम्र महज़ 22 साल की थी ( फोटो क्रेडिट - YASHWANT CHAUHAN )

वैशाली के सिपाही जय किशोर सिंह महज़ 22 साल के थे. जय किशोर की मौत की ख़बर आने के बाद जंदाहा थाने के चकफ़तह गांव में उनके घर पर भीड़ लगी है.

घर के बाहर मां मंजू देवी का रूदन दिल दहला रहा है.

पिता राजकपूर सिंह बताते हैं, "एक महीना पहले फ़ोन आया था. उसने कहा था कि ऊपर तैनाती हो रही है. वहां टावर नहीं मिलेगा तो बात नहीं हो पाएगी. जब नीचे आएगें तो बात करेंगें."

अविवाहित जय किशोर सिंह का फ़ोन तो नहीं आया लेकिन बुधवार सुबह 9 बजे उसके गंभीर होने की सूचना मिली.

किसान पिता राजकपूर ने बीबीसी को बताया, "पहले बोला कि बेटा गंभीर है, तो हमने कहा कि आप लोग ठीक से इलाज कराइए. फिर 11 बजे फ़ोन आया कि आपका बेटा शहीद हो गया. मां बाप का करेजा है तो फट गया."

जवान जय किशोर की मां मंजू देवी ( फोटो क्रेडिट - YASHWANT CHAUHAN )

2018 में सेना में गए जय किशोर के बड़े भाई नंद किशोर भी सेना की नौकरी में हैं और उनकी तैनाती सिक्किम में है. जय किशोर सिंह के दो छोटे भाई अभी पढ़ाई कर रहे हैं.

पिता राजकपूर सिंह चाहते हैं कि उनके बेटे का स्मारक लगाया जाए. साथ ही उसके नाम पर कोई सार्वजनिक स्थल बनाया जाए.

वो कहते हैं, "बेटा तो चला गया, उसका गौरव रहना चाहिए. जिसको आधार बनाकर हम बूढ़ा-बूढ़ी अपना जीवन काट दें."(www.bbc.com)
 


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