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एसआईआर शिविर में बगैर मिलान वाले मतदाताओं ने कहा- उम्मीद है कि हमारे नाम नहीं हटाए जाएंगे
27-Dec-2025 9:52 PM
एसआईआर शिविर में बगैर मिलान वाले मतदाताओं ने कहा- उम्मीद है कि हमारे नाम नहीं हटाए जाएंगे

कोलकाता, 27 दिसंबर। पूरे पश्चिम बंगाल में शनिवार को मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत सुनवाई शुरू हो गई, जहां हजारों ‘नामों के मिलान से रहित’ (अनमैप्ड) मतदाता अपने मतदाता संबंधी विवरण में विसंगतियों को लेकर उपजे भ्रम और चिंता के बीच शिविरों में कतार में खड़े दिखाई दिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

चेन्नई में काम करने वाली सॉफ्टवेयर पेशेवर अंकिता मुखर्जी को ऑनलाइन गणना प्रपत्र जमा करने के बाद उनके नाम में विसंगतियों के कारण निर्वाचन आयोग से पहले दिन की सुनवाई में भाग लेने के लिए नोटिस मिला था।इसके चलते मुखर्जी को उत्तर 24 परगना में अपने गृहनगर बारासात जाना पड़ा।

मुखर्जी, जो 2002 में वयस्क नहीं थीं, ने अपने माता-पिता का नाम जमा किया था, लेकिन उनके मूल स्थान के प्रखंड-स्तरीय अधिकारी ने कहा कि कुछ तकनीकी कारण से उनका डेटा डिजिटल रूप से अपलोड नहीं किया जा सका है। अधिकारी ने कहा कि उन्हें बारासात के कॉलोनी मोर बूथ क्षेत्र में सुनवाई शिविर में उपस्थित होने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, ‘‘आपात स्थिति को देखते हुए मुझे छुट्टी के लिए आवेदन करना पड़ा और मैं अपने आठ साल के बच्चे और आईटी क्षेत्र में काम करने वाले अपने पति को छोड़कर आई हूं। मैंने पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान किया था क्योंकि एसआईआर की कोई आवश्यकता नहीं थी। हालांकि, मैं शिकायत नहीं कर रही हूं।’’

शिविर छोड़ते समय मुखर्जी आश्वस्त थीं कि उनका नाम अंतिम मतदाता सूची में शामिल होगा जो फरवरी में अपलोड की जाएगी।

राज्य भर के शिविरों में बुजुर्ग मतदाताओं को सुनवाई में भाग लेने के लिए संघर्ष करते देखा गया। भवानीपुर के मित्रा इंस्टीट्यूशन शिविर में चलने में कठिनाई वाले 75 वर्षीय एक व्यक्ति ने कहा कि 2002 की सूची में उसका नाम होने के बावजूद उसके उपनाम में वर्तनी की विसंगतियों के कारण उसे बुलाया गया था।

उन्होंने अपना नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘मैंने सभी विवरण जमा कर दिए थे और यहां तक ​​कि मेरा नाम 2002 की सूची में भी था। बीएलओ मुझे अब भी बता रहे कि फॉर्म में मेरे उपनाम की वर्तनी के बारे में भ्रम है। उन्होंने मुझे आने के लिए कहा और मैं सभी दस्तावेजों के साथ यहां हूं। देखते हैं।’’

बीरभूम के बोलपुर में 62 वर्षीय सौमित्र मित्रा, जिन्होंने बंगाल लौटने से पहले वर्षों तक नागपुर में काम किया था, ने कहा कि उन्हें 2002 से पहले के मतदान रिकॉर्ड की कमी के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं 2016 में लौटा और वर्तमान पते पर ईपीआईसी कार्ड और अन्य दस्तावेज प्राप्त किए। चूंकि मेरे माता-पिता की मृत्यु 2002 से पहले हो गई थी और महाराष्ट्र में मेरे मतदान का कोई रिकॉर्ड नहीं था, इसलिए मैं गणना प्रपत्र नहीं भर सका।’’

हुगली के 80 वर्षीय अंबिका मुखोपाध्याय और पूर्वी बर्धमान की 76 वर्षीय साबित्री मजूमदार व्यथित दिखीं। साबित्री मजूमदार ने कहा कि उन्होंने आधार, वोटर कार्ड, राशन कार्ड, निवास प्रमाण और उपयोगिता बिल जमा कर दिए थो, लेकिन उन्हें पता नहीं है कि उन्हें क्यों बुलाया गया।

पानीहाटी में लगभग 100 ‘अनमैप्ड’ मतदाताओं ने सुनवाई में भाग लिया। एक वरिष्ठ चुनाव अधिकारी ने कहा कि शनिवार को राज्य भर में 3,234 केंद्रों पर सुनवाई हुई। लगभग 32 लाख ‘अनमैप्ड’ मतदाता, जो 2002 की मतदाता सूची से मिलान स्थापित करने में असमर्थ हैं, उन्हें पहले चरण में बुलाया जाएगा। (भाषा)


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