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राजभाषा दिवस पर भरा स्वाभिमान का संकल्प”
रायपुर 28 नवंबर। छत्तीसगढ़ी भाषा नई नहीं, बल्कि हमारी विरासत का वह स्वर्णिम अध्याय है जिसका इतिहास अत्यंत पुराना और गौरवशाली है। यह बात सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने
छत्तीसगढ़ राजभाषा दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आयोजित समारोह में कही।
सांसद अग्रवाल ने कहा कि “छत्तीसगढ़ी केवल भाषा नहीं, हमारी अस्मिता है। इसे जन-जन की भाषा बनाने के लिए हमें इसे अपने व्यवहार, आचार और विचार में आत्मसात करना होगा।"
कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राजभाषा आयोग द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण पुस्तकों का विमोचन किया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी साहित्य की सेवा में अविस्मरणीय योगदान देने वाले प्रतिष्ठित साहित्यकारों—पद्मश्री धर्मलाल सैनी, श्रीमती सरला शर्मा, एस. पी. जायसवाल, हेमलाल साहू ‘निर्मोही’, डॉ. प्रकाश पतंगीवार, काशी साहू को सम्मानित किया।
सांसद ने छत्तीसगढ़ी भाषा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले महान साहित्यिक पुरोधाओं स्वर्गीय सुरेंद्र दुबे और स्वर्गीय सुरजीत नवदीप को भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।कार्यक्रम में प्रख्यात इतिहासकार रामेंद्रनाथ मिश्र, रामेश्वर वैष्णव, शशांक शर्मा, राजभाषा आयोग की सचिव श्रीमती अभिलाषा बेहार सहित बड़ी संख्या में लेखक, साहित्यकार व भाषा प्रेमी उपस्थित रहे।


