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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 31 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सभी लैब टेक्नीशियनों को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि एक ही पद के लिए अलग-अलग वेतन संरचना बनाना प्राकृतिक न्याय और समानता के सिद्धांतों का उल्लंघन है।
जस्टिस दीपक कुमार तिवारी की सिंगल बेंच में हुई सुनवाई में अदालत ने कहा कि यह समझ से परे है कि जब पद, योग्यता और कार्य एक समान हैं, तो कुछ कर्मचारियों को 2,800 और कुछ को 2,400 रुपये का ग्रेड पे क्यों दिया जा रहा है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि सभी लैब टेक्नीशियनों को 2,800 रुपये का ग्रेड पे नियुक्ति की तिथि से दिया जाए और दो माह के भीतर बकाया राशि का भुगतान 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित किया जाए।
यह आदेश आशा वर्मा और अन्य लैब टेक्नीशियनों की ओर से अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी के माध्यम से दायर याचिका पर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि 2 मई 2014 को जारी भर्ती विज्ञापन में लैब टेक्नीशियन के 26 पदों के लिए वेतनमान 5200-20200 और ग्रेड पे 2800 रुपये दर्शाया गया था, लेकिन चयन के बाद नियुक्ति आदेशों में ग्रेड पे घटाकर 2400 रुपये कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि स्वास्थ्य विभाग ने जो ग्रेड पे के साथ स्वीकृत किया, उससे समान कार्य करने वाले कर्मचारियों के बीच भेदभाव हो गया। उन्होंने कहा कि यह न केवल अनुचित है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 39(d) में निहित समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन भी है।
राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में लैब टेक्नीशियनों को पहले से 2800 रुपये ग्रेड पे दिया जा रहा है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने यह आदेश पारित किया और भविष्य में वेतन निर्धारण भी इसी आधार पर करने का निर्देश दिया। इस फैसले का प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में कार्यरत लैब टेक्नीशियनों को सीधा लाभ मिलेगा।


