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पूर्व गृह मंत्री की शिकायत पर सुनवाई, सीएस से 30 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 नवंबर। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने चिटफंड कंपनी फ्लोरामेक्स द्वारा आदिवासी महिलाओं से ठगी के मामले में कड़ा रूख अपनाया है। आयोग ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर प्रकरण की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है, और 30 दिन के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
आयोग ने पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत पर 16 अक्टूबर को सुनवाई की थी। राज्य सरकार की तरफ से बिलासपुर कमिश्नर सुनील कुमार जैन उपस्थित हुए।
पूर्व मंत्री ने अपनी शिकायत में कहा था कि फ्लोरामेक्स कंपनी द्वारा कोरबा जिले की 40 हजार से अधिक आजीविका मिशन से जुड़े समूहों की आदिवासी महिलाओं के साथ ठगी कर अरबों का घोटाला का घोटाला किया गया है। कंवर ने प्रकरण की केंद्रीय एजेंसी से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई, और पीडि़त महिलाओं को राहत पहुंचाने का आग्रह किया था।
आयोग ने प्रकरण की जांच के बाद पाया कि मामला गंभीर वित्तीय अनियमितताओं और अनुसूचित जनजाति समुदाय की महिलाओं के आर्थिक शोषण से जुड़ा है। इसलिए मामले की एफआईआर और न्यायालय में प्रस्तुत चालान में अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध दर्ज कर प्रकरण का समयबद्ध तरीके से निपटान करने का सुझाव दिया है।
आयोग ने यह भी कहा कि पहली नजर में यह मामला बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और जालसाजी का प्रतीत होता है। जिसकी जांच उच्चस्तरीय अधिकारियों द्वारा कराई जानी चाहिए। जिससे पीडि़त आदिवासी महिलाओं द्वारा फर्जी कंपनी को चुकाई रकम आदिवासी महिलाओं को शीघ्र वापस प्रदान की जा सकती है।
चालान की प्रति आयोग को उपलब्ध कराने के आदेश भी दिए गए हैं। यह भी अनुशंसा की गई है कि संबंधित कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों की सभी चल-अचल और बेनामी संपत्तियों तथा बैंक खातों का पता लगाने और उसे राजसात कर वसूली की जानी चाहिए। इसकी जानकारी आयोग को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। कार्रवाई की रिपोर्ट 30 दिनों के भीतर आयोग को प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं।





