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वेतन वृद्धि देने की मांग, 12 से अनिश्चिकाल हड़ताल पर जाने चेतावनी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 6 नवंबर। प्रदेश के सहकारी बैंकों के कर्मचारी गुरुवार को सामूहिक अवकाश पर रहे। जिससे बैंकों में कामकाज पूरी तरह ठप रहा।
बैंक कर्मचारी संघ की मांग है कि उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाए, जो पिछले 5 वर्षों से रुकी हुई है। कर्मचारी संघ ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिसमें उनके पक्ष में फैसला आया। लेकिन अभी तक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया गया है।
बताया गया कि बैंक कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर पंजीयक, और विभागीय मंत्री को अवगत कराया था लेकिन उनकी मांगों को पूरा करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया।
इसके बाद से चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू किया गया। पहले चरण में बैंक कर्मचारियों ने काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया था। इसके बाद कर्मचारियों ने कार्यालय अवधि में सुबह एक घंटे प्रदर्शन किया।
गुरुवार को आंदोलन के तीसरे चरण में रायपुर, बलौदा बाजार, धमतरी, महासमुंद, गरियाबंद, सारंगढ़-बिलाईगढ़ के सभी 73 शाखाओं में कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर रहे।
कर्मचारी नेताओं ने चेतावनी दी है कि मांग पूरी नहीं हुई, तो 12 नवंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। प्रदेश में धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू हो रही है। ऐसे में आंदोलन जारी रहा, तो कर्मचारियों को नुकसान हो सकता है।
कर्मचारी संघ अध्यक्ष मोहनलाल साहू, याचिकाकर्ता सुशील चंद्र सोनी,देवेंद्र पांडे, बसंत कुमार यादव, अहमद खान,नोहर सिंह वर्मा,किरण बांधे, अरुण कुमार सेन, रामनारायण यादव, युवराज दुबे, अविनाश शर्मा, मनोज कुमार दिवाकर, दिलीप दिवाकर, शिवेश मिश्रा, देवकुमार व्यास, नीतु राठौर, प्रदीप सोनी, सुनील सुकुमारन आदि कर्मचारी नेताओं ने कहा कि सहकारी बैंक कर्मचारियों को वेतन वृद्धि रोकना समझ से परे है।कर्मचारियों को वेतन वृद्धि से सरकार के खजाने या वित्त विभाग का कोई भार नहीं पडऩा है,अपने स्वयं के अर्जित लाभ से ही वेतन वृद्धि होना है तो रोक लगाना अनुचित है और मानवीय सरोकार के विपरीत है, तत्काल सरकार के बड़े नेताओं को हस्तक्षेप करना चाहिए ।
सहकारिता के जानकार लोगों ने हैरानी जाहिर करते हुए कहां कि आखिर सरकार के खजाने पर कोई भार नहीं पडऩा है तो क्यों सहकारिता विभाग पंजीयक कार्यालय अनावश्यक रोड़ा अटकाये हुए हैं। बैंक कर्मचारी आंदोलन पर है और किसानों को समस्या हो रही है।धान खरीदी की तैयारी प्रभावित हो रही है, अमानत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तो संबंधित विभाग जिम्मेदार होगा।सत्ताधारी दल के और संगठन से जुड़े विभिन्न नेताओं ने भी कर्मचारियों के मांग को जायज ठहराया है और मुख्यमंत्री को पहल कर निराकरण करने का आग्रह किया है।


