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बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर विरोध जारी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया
06-Nov-2025 4:53 PM
बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर विरोध जारी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया

 एक दिसंबर से मंत्रालय में आईएएस अफसरों के लिए भी अनिवार्य

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 6 नवंबर। बायोमेट्रिक अटेंडेंस का भले  ही प्रदेश के अफसर-कर्मी तो विरोध कर रहे हैं, लेकिन ओडि़शा सरकार के एक केस में सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बायोमेट्रिक अटेंडेंस को उचित ठहराया है।

छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश में भी बायोमेट्रिक अटेंडेंस का विरोध हो रहा है। ओडिशा में तो महालेखाकार के अफसरों, और कर्मियों ने बिना परामर्श के बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू करने के सरकार के फैसले को अवैध बताया था, और इसके खिलाफ कोर्ट चले गए थे। ओडिशा महालेखाकार में अक्टूबर-2013 से बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू करने का फैसला लिया था,  इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।

इस प्रकरण पर गत 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट की  जस्टिस पंकज मेथिल, और जस्टिस प्रसन्न बी वराले की पीठ ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद आदेश में लिखा कि मामले के तथ्यों, और परिस्थितियों के मद्देनजर बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली लागू करना सभी हितधारकों के लाभ के लिए है। यह व्यवस्था सिर्फ इसलिए अवैध नहीं हो जाती,कि कर्मचारियों से लागू करने से पहले परामर्श नहीं किया गया।

 सुप्रीम कोर्ट का फैसला 28 अक्टूबर को आया है। ओडिशा के मसले पर  इस फैसले की काफी चर्चा है क्योंकि मध्यप्रदेश, और छत्तीसगढ़ में बायोमैट्रिक अटेंडेंस का विरोध हो रहा है।

छत्तीसगढ़ में मंत्रालय में एक दिसंबर से बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू किया जा रहा है। इसमें सीएस से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर्मियों को दायरे में लाया गया है। पहले आईएएस, और मंत्रालय कैडर के अफसरों-कर्मियों को छूट थी।

नए सीएस विकास शील के बायोमेट्रिक अटेंडेंस को कड़ाई से लागू करने का फैसला लिया है। उन्होंने खुद को इसके दायरे में लाया है। बायोमेट्रिक अटेंडेंस के आधार पर सीआर का मुल्यांकन भी होगा। सीएम विष्णुदेव साय ने एक बैठक में बायोमेट्रिक अटेंडेंस की तारीफ की है। इससे अधिकारी-कर्मचारियों की दफ्तर में उपस्थिति सुनिश्चित हो पाएगी। विशेषकर मंत्रालय, और विभागाध्यक्ष कार्यालय में कार्यालयीन अवधि में अधिकारी-कर्मचारी की गैर मौजूदगी की काफी शिकायतें आती रही हैं। बायोमेट्रिक अटेंडेंस पर मंत्रालयीन कर्मचारी संघ ने लिखित में आपत्ति दर्ज कराई है, लेकिन सरकार बायोमेट्रिक अटेंडेंस कड़ाई से लागू करने पर जोर दे रही है। अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन इससे सहमत नहीं हैं।

 

फेडरेशन के अध्यक्ष कमल वर्मा ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू करने से पहले रिक्त पदों पर भर्ती होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सेट अप में स्वीकृत पदों के करीब 40 फीसदी पद खाली हैं।

उन्होंने कहा कि अफसर-कर्मी रात तक काम निपटाकर सरकार के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाते हैं। सुशासन अभियान में इसकी झलक देखी गई है,जब आवेदनों का तेजी से निराकरण किया गया। वर्मा ने कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस से कार्पोरेट कल्चर को बढ़ावा मिलेगा। यह अधिकारी-कर्मचारियों के किसी भी तरह हित में नहीं है। इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बायोमेट्रिक अटेंडेंस से निजी जानकारी भी लीक होने की आशंका है। मध्यप्रदेश में तो इसी आधार पर इसका विरोध हो रहा है।  बहरहाल, आने वाले दिनों में इसको लेकर विवाद बढ़ सकता है।


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