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इस बार मिनी ट्रक योद्धा से भी किया जा सकेगा भ्रमण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 30 अक्टूबर। अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) एक नवंबर से पर्यटकों के लिए फिर से खुलने जा रहा है। हर साल की तरह इस वर्ष भी रिजर्व को मानसून सीजन में, एक जुलाई से 31 अक्टूबर तक, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर बंद रखा गया था। बरसात के दौरान सड़कें कीचड़भरी हो जाती हैं और यह समय वन्य प्राणियों के प्रजनन का होता है, इसलिए पर्यटकों की सुरक्षा और वन्य जीवन की शांति बनाए रखने के लिए यह पाबंदी लगाई जाती है।
एटीआर प्रबंधन ने भ्रमण मार्ग की मरम्मत, रंग-रोगन और सफाई का काम पूरा कर लिया है। एक नवंबर से पार्क में सफारी शुरू हो जाएगी। जैसे ही ऑनलाइन बुकिंग शुरू हुई, अनेक पर्यटकों ने सफारी तथा शिवतराई स्थित बैगा रिसॉर्ट के लिए अग्रिम बुकिंग कर ली है।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से शिवतराई स्थित बैगा रिसॉर्ट को मानसून के दौरान भी खुला रखा जाता है ताकि पर्यटक वहां ठहरकर जंगल की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकें।
अचानकमार में भ्रमण तीन पालियों में हो सकता है। सुबह 6 बजे से 9 बजे तक,सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक। इसके लिए वाहन शिवतराई स्थित बैगा रिसोर्ट से मिलते हैं। वाहन जिप्सी का किराया 3500 रुपये तथा योद्धा वाहन का 5500 रुपये किराया रखा गया है। बसों से आने वाले पर्यटकों को 7500 रुपये किराया देना होगा।
एटीआर प्रबंधन ने इस बार भ्रमण वाहनों की कमी दूर कर ली है। सफारी के लिए पांच नए मिनी ट्रक, योद्धा वाहन खरीदे गए हैं, जो रणथंभौर में मॉडिफाई होने के बाद जल्द ही रिजर्व में उपलब्ध होंगे। वहीं, शिवतराई स्थित बैगा रिसॉर्ट में पर्यटकों के ठहरने के लिए 14 कमरे तैयार हैं, जिनका किराया 3500 रुपये प्रति दिन तय किया गया है। सफारी के लिए समय से कम से कम 45 मिनट पहले पहुंचना होगा। प्रवेश से पहले अनुमति आवश्यक है। अनुमति हस्तांतरणीय नहीं है और नियमों के उल्लंघन पर रद्द की जा सकती है। सैलानी आग्नेयास्त्र, विस्फोटक, माचिस या लाइटर साथ नहीं ले जा सकते। धूम्रपान व तेज आवाज़ (ट्रांजिस्टर, हॉर्न आदि पूरी तरह वर्जित है। सफारी के दौरान शांति और अनुशासन बनाकर रखना होगा। वाहन की अधिकतम गति सीमा 20 किलोमीटर प्रतिघंटा रखी जाती है व अधिकृत गाइड के साथ ही भ्रमण किया जा सकता है, जिसके निर्देशों का पालन आवश्यक है। अनुमति के बिना वाहन से उतरने की मनाही होती है। जानवरों से छेड़छाड़ व उनका रास्ता रोकना प्रतिबंधित है। कचरा फैलाने व वन संपत्ति को नुकसान पहुंचाना मना है। सभी आगंतुकों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 व एनटीसीए के दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। उल्लंघन पर आरक्षित क्षेत्र से निष्कासन और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
अचानकमार टाइगर रिज़र्व की स्थापना वर्ष 1975 में वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गई थी। वर्ष 2009 में इसे बाघ अभयारण्य का दर्जा प्राप्त हुआ। यह अचानकमार–अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व का हिस्सा है और कान्हा तथा बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व को जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण गलियारा है, जो बाघों की आवाजाही और आनुवंशिक विविधता को बनाए रखने में सहायक है।
यह क्षेत्र मुख्यतः बैगा, गोंड और यादव जनजातीय समुदायों का निवास स्थान है। अभयारण्य से होकर बहने वाली मनियारी नदी इसकी जीवनरेखा कही जाती है, जो आगे चलकर शिवनाथ नदी में मिल जाती है। यह क्षेत्र उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वनों से आच्छादित है, जहां साल, साजा, तिनसा, बीजा, हल्दू, सागौन, धावरा, लेंडिया, खमार और बांस जैसे वृक्ष प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
2025 की गणना के मुताबिक यहां बाघों की संख्या 18 है जो छत्तीसगढ़ के किसी भी अन्य अभयारण्य में सर्वाधिक है। इसके अलावा यहां, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, लकड़बग्घा, बाइसन, चिंकारा, सांभर, चीतल और उड़ने वाली गिलहरी (फ्लाइंग स्क्विरेल) का रहवास है।


