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बिलासपुर, 3 सितंबर। रेलवे कोचिंग डिपो में काम के दौरान हाईटेंशन ओएचई तार की चपेट में आए श्रमिक प्रताप बर्मन की मौत के बाद पांच दिनों से चल रहा धरना आखिरकार मंगलवार देर रात समझौते के साथ समाप्त हो गया। हाईकोर्ट के आदेश पर ठेकेदार को छह सप्ताह के भीतर मृतक के परिजनों को 5 लाख रुपये अतिरिक्त मुआवजा देने का निर्देश दिया गया है।
रेलवे और राज्य शासन की ओर से पहले ही 21.50 लाख रुपये जमा कराए गए थे। अब यह बढ़कर कुल 26.50 लाख रुपये हो गया है। रेलवे की ओर से यह भी तय किया गया कि मृतक की पत्नी खुशबू को सीधे रेलवे में नौकरी तो नहीं मिलेगी, लेकिन ठेका कंपनी के जरिए उन्हें नौकरी दी जाएगी। साथ ही मृतक के बच्चे की स्कूली पढ़ाई का पूरा खर्च रेलवे वहन करेगा।
मालूम हो कि 23 अगस्त को जांजगीर-चांपा जिले के पामगढ़ निवासी प्रताप बर्मन वंदे भारत ट्रेन के एक्स्ट्रा कोच की सफाई और मरम्मत कर रहा था। इसी दौरान वह ओएचई तार से करंट की चपेट में आकर गंभीर रूप से झुलस गया। इलाज के लिए उसे अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 28 अगस्त को उसकी मौत हो गई।
हादसे के बाद ठेकेदार और रेलवे प्रशासन की लापरवाही से नाराज परिजनों ने 26 अगस्त से डीआरएम ऑफिस के बाहर धरना शुरू कर दिया था। परिजन 1 करोड़ रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और बच्चे की पढ़ाई का खर्च उठाने की मांग पर अड़े रहे।
हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया और रेलवे प्रशासन के रवैए पर कड़ी नाराजगी जताई। कोर्ट ने तीन दिन में रेलवे जीएम से शपथपत्र सहित जवाब मांगा और कहा कि ऐसे हादसों में ठेकेदार और रेलवे प्रशासन दोनों जिम्मेदार होते हैं। कोर्ट ने मृतक परिवार को त्वरित राहत देने पर जोर दिया।
मंगलवार देर रात अतिरिक्त कलेक्टर शिव बनर्जी और एसडीएम मनीष साहू ने आंदोलनकारियों से बातचीत की। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। अंततः समझौते के बाद धरना खत्म हुआ और परिजनों को मुआवजा व नौकरी का आश्वासन मिला।