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-उमंग पोद्दार
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद मतदाता सूची के प्रकाशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुबह 10:30 बजे सुनवाई की तारीख तय करेगा.
सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची ने मतदाता सत्यापन के लिए आधार कार्ड, राशन कार्ड और ईपीआईसी कार्ड को शामिल करने पर मौखिक रूप से चर्चा की.
चुनाव आयोग की तरफ़ से पेश हुए वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि राशन कार्ड में बड़े पैमाने पर दिक्कतें हैं.
ईपीआईसी कार्ड को लेकर उन्होंने कहा कि प्री-फिल्ड गणना फॉर्म में ईपीआईसी नंबर होता है, लेकिन यह व्यापक संशोधन है, ऐसे में मतदाताओं को अन्य दस्तावेज भी देने होंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि आधार लिया जा रहा है, लेकिन आधार अधिनियम के अनुसार आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है.
जस्टिस बागची ने उनसे पूछा, "आपके अनुसार, एसआईआर की अधिसूचना में कोई भी दस्तावेज निर्णायक नहीं है, ऐसे में अगर कोई आधार देता है, तो आप इसे पहचान के प्रमाण के रूप में क्यों नहीं लेते?"
जस्टिस सूर्य कांत ने चुनाव आयोग के वकील से मौखिक रूप से कहा, "आप इन दो दस्तावेजों (आधार और ईपीआईसी) को शामिल करें, हो सकता है कि एक हज़ार ईपीआईसी कार्ड में एक जाली मिले. आपको जहां भी जालसाज़ी मिलेगी, इसे आपको केस-टू-केस देखना होगा."
हालांकि इसका लिखित आदेश जारी नहीं किया गया.
जस्टिस सूर्य कांत ने कहा कि चुनाव आयोग को बड़े पैमाने पर दस्तावेज़ों को ख़ारिज़ करने के बजाय समावेश की दिशा में जाना चाहिए.
सुनवाई के दौरान, जब एडीआर के वकील ने कोर्ट से अनुरोध किया कि मतदाता सूची को अंतिम रूप न देने का निर्देश दिया जाए, तो कोर्ट ने कहा कि अगर प्रक्रिया गलत होगी, तो कोर्ट के पास प्रक्रिया को रद्द करने की शक्ति है. (bbc.com/hindi)