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राजपथ-जनपथ : जंगल महकमे में बदलाव
29-Jul-2025 5:40 PM
राजपथ-जनपथ : जंगल महकमे में बदलाव

जंगल महकमे में बदलाव

सीनियर आईएफएस अफसरों के प्रभार में छोटा सा बदलाव हो सकता है। पीसीसीएफ (वर्किंग प्लान) आलोक कटियार दो दिन बाद यानी 31 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। कटियार के रिटायरमेंट के साथ ही पीसीसीएफ स्तर के अफसरों के प्रभार में बदलाव होगा। यही नहीं, केन्द्र ने आईएफएस अफसरों के कैडर रिवीजन के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

इस साल पीसीसीएफ स्तर के कई अफसर रिटायर हो रहे हैं। इनमें से आईएफएस के 93 बैच के अफसर रहे आलोक कटियार राज्य बनने के बाद से फारेस्ट के ताकतवर अफसरों में गिने जाते रहे हैं। ज्यादातर समय वो अलग-अलग विभागों में पोस्टेड रहे हैं।

आईएफएस का कैडर 153 से बढक़र 160 हो गया है। इससे राज्य वन सेवा के आईएफएस अवार्ड के लिए पदों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होगी। इस साल राज्य वन सेवा की अफसर निर्मला खेस्स को आईएफएस अवार्ड के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। डीपीसी हो चुकी है लेकिन केन्द्र से आदेश जारी नहीं हो पाए हैं।

कभी इसे कहते थे सराय चौक...

यह तस्वीर रायपुर के हृदयस्थल जयस्तंभ चौक की है। एक ऐसा स्थान जो केवल एक चौक नहीं, बल्कि इतिहास, बलिदान और गौरव का प्रतीक है।

10 दिसंबर 1857 को इसी जगह पर छत्तीसगढ़ के पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह को अंग्रेजों ने फांसी पर लटकाया था। देशभक्ति की इस पवित्र धरती को नमन करते हुए बाद में यहां एक जयस्तंभ का निर्माण किया गया, जिस पर आज भी गर्व से लिखा है-15 अगस्त 1947। तभी से इस चौक का नाम पड़ा जयस्तंभ चौक।

पिछली सरकार के कार्यकाल में शहीद वीर नारायण सिंह की स्मृति में उनकी प्रतिमा भी इसी चौक पर स्थापित की गई। साथ ही एक सुंदर चबूतरे का निर्माण हुआ, जो आज लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। वैसे रायपुर में ऐसे दो और जयस्तंभ हैं, जिनकी कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है... पर वो किस्से फिर कभी।

आज़ादी से पहले के समय में बहुत कम लोग जानते होंगे कि इस चौक का मूल नाम सराय चौक था। बुजुर्ग स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केयूर भूषण और कई अन्य पुराने रायपुरवासियों के अनुसार, उस समय जहां आज रविभवन है, वहां कभी एक सराय यानि मुसाफिरखाना (धर्मशाला) हुआ करता था। दूर-दूर से आने वाले व्यापारी, मुसाफिर और राहगीर वहीं ठहरते थे। फिर जब जयस्तंभ का निर्माण हुआ, तो यह स्थान जयस्तंभ चौक के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

यह 1960 से पहले की तस्वीर है। जहां आज गिरनार होटल है, वहां कभी रामजी बिल्डिंग हुआ करती थी। इसी बिल्डिंग के नीचे कलामंदिर और बॉम्बे डाइंग की कपड़ों की दुकान थी , जो उस समय स्टाइल और फैशन के प्रतीक माने जाते थे। ( तस्वीर और विवरण- गोकुल सोनी)

स्वच्छता सर्वेक्षण-ब्यूटी कांटेस्ट?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में छत्तीसगढ़ के बिल्हा की तारीफ की। अपनी श्रेणी में यह देश का सबसे स्वच्छ शहर बन गया! बिलासपुर और रायपुर भी अपनी-अपनी श्रेणियों में दूसरे और चौथे नंबर पर। दिल्ली जाकर जनप्रतिनिधि और अफसर अवार्ड ले आए लेकिन बारिश ने इन शहरों को ऐसा धोया कि सारी हकीकत सामने आ गई। जब जगह-जगह जल जमाव हुआ, नालियां सच उगलने लगीं और गलियों से होते घरों में बदबूदार पानी घुसा तो सब कीचड़-कीचड़ हो गया।

स्वच्छता सर्वेक्षण अब एक दिखावे का तमाशा बनकर रह गया है। सर्वे टीम आती है, चुनिंदा गलियों का टूर करती है, फोटो खींची जाती हैं, प्रेजेंटेशन बनते हैं, और फिर तमगे टांग दिए जाते हैं। कचरा प्रबंधन की हकीकत जाम नालियों के नीचे दबी रह जाती हैं।

बारिश के दौरान और उसके बाद आई तस्वीरों ने बता दिया कि स्वच्छता के गाड़े गए झंडे दरअसल खोखले हैं। अफसरों और नेताओं के अलावा कौन सीना ठोंक रहा है कि अपने छत्तीसगढ़ के तीन शहर सफाई में पहले, दूसरे और चौथे नंबर पर आए? सोचिए, जिन शहरों को इनसे नीचे रैंक दी गई, वहां क्या हाल होगा? उन कस्बों में शायद नालियां सालों से साफ ही नहीं हुई होंगी, कचरा डंपिंग और बारिश वहां हर साल आपदा बनकर आती होगी।

स्वच्छता सर्वेक्षण क्या कोई ब्यूटी कांटेस्ट था? जिस दिन सर्वे वाले आएं उस दिन चकाचक कर दो और अवार्ड हासिल कर लो?


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