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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट से जुड़े बॉम्बे हाई कोर्ट के फै़सले पर रोक लगा दी है.
महाराष्ट्र सरकार ने 22 जुलाई को विस्फोट मामले में 12 अभियुक्तों को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "माई लॉर्ड्स, आप इस फै़सले पर रोक लगाने पर विचार कर सकते हैं. हालांकि, दोषियों को दोबारा जेल में लौटने की ज़रूरत नहीं होगी."
उन्होंने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट का यह फै़सला मकोका के तहत चल रहे अन्य मामलों को भी प्रभावित कर सकता है, इसलिए उस पर रोक ज़रूरी है.
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल की अपील को स्वीकार कर लिया है.
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एनके सिंह की पीठ ने कहा, "हमें बताया गया है कि सभी प्रतिवादी रिहा हो चुके हैं और उन्हें दोबारा जेल भेजने का कोई सवाल नहीं है. हालांकि, एसजी की ओर से क़ानून के मुद्दे पर दी गई दलील को ध्यान में रखते हुए हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि इस फैसले को मिसाल के तौर पर न माना जाए."
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा दी.
साथ ही, पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से दायर अपील पर नोटिस भी जारी किया है.
मुंबई ट्रेन सीरियल ब्लास्ट में गई थी 189 लोगों की जान
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों की कई बोगियों में सात धमाके हुए थे. ये धमाके मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन पर सात अलग-अलग ट्रेनों में हुए थे.
इन धमाकों में 189 लोगों की जान गई थी और 824 लोग घायल हुए थे.
यह मुंबई पर हुए सबसे बड़े हमलों में से एक माना जाता है, जिसे आम तौर पर '7/11 ब्लास्ट' कहा जाता है. इस मामले में 2015 में एक विशेष अदालत ने पांच अभियुक्तों को फांसी और सात को उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के उस फ़ैसले को पलटते हुए सभी 12 अभियुक्तों को बरी कर दिया है. इनमें से एक अभियुक्त कमाल अंसारी की 2021 में मौत हो गई थी. (bbc.com/hindi)