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अदालत ने बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक परिवहन सेवा की स्थिति पर जताई नाराजगी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 जुलाई। हाईकोर्ट में बिलासपुर में सिटी बस सेवा की बदहाली को लेकर एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि बिलासपुर जिले में इस समय कितनी बसें चल रही हैं? इस पर परिवहन सचिव और बिलासपुर नगर निगम आयुक्त ने हलफनामा पेश किया।
हलफनामे में बताया गया कि छत्तीसगढ़ में साल 2012-13 में शहरी परिवहन व्यवस्था शुरू की गई थी। इसके तहत 70 शहरों और कस्बों में चलाने के लिए कुल 451 बसें खरीदी गई थीं। इन्हें 9 समूहों में बांटा गया, जिनमें बिलासपुर भी शामिल है। बिलासपुर को 9 बसें मिली थीं, जिनमें से फिलहाल 6 ही ठीक हालत में हैं और सिर्फ 5 बसें ही सड़क पर दौड़ रही हैं। एक बस जल्द सेवा में जोड़ी जाएगी।
चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि इतने बड़े शहर में केवल 5 बसों का चलना आम जनता के साथ अन्याय है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि जल्द से जल्द इस मामले में ठोस कदम उठाए जाएं और अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर तय की है।
पिछली सुनवाई में राज्य सरकार के वकील ने बताया था कि अब पुरानी डीजल बसों की जगह इलेक्ट्रिक बसें शुरू की जाएंगी। इसके लिए मार्च 2024 में ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। लेकिन कोर्ट ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह साफ दिखाई दे रहा है कि न सिर्फ बिलासपुर बल्कि प्रदेश के बाकी जिलों के लिए भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को लेकर कोई ठोस इंतज़ाम नहीं किया गया है।
कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 5 बसों के सहारे शहर की पूरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट व्यवस्था चलाना नामुमकिन सा है। खासकर स्कूल-कॉलेज के छात्र, दफ्तर जाने वाले कर्मचारी, महिलाएं और बुजुर्ग हर दिन काफी दिक्कतें झेल रहे हैं। शहर में ऑटो और निजी वाहन ही एकमात्र सहारा बन चुके हैं, जिनका किराया भी लगातार बढ़ता जा रहा है।