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जज के खिलाफ टिप्पणी पर अधिवक्ता ने मांगी बिना शर्त माफी, बेंच ने स्वीकार किया
23-Jul-2025 11:53 AM
जज के खिलाफ टिप्पणी पर अधिवक्ता ने मांगी बिना शर्त माफी, बेंच ने स्वीकार किया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 23 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक अधिवक्ता द्वारा न्यायालय की अवमानना से जुड़ा मामला आखिरकार माफी के साथ समाप्त हो गया। अधिवक्ता सैमसन सैमुअल मसीह ने न्यायालय की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले अपने बयान पर खेद जताते हुए बिना शर्त माफी मांगी, जिसे हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने स्वीकार कर लिया।

कोरबा निवासी अधिवक्ता श्यामल मलिक ने फैमिली कोर्ट के डीएनए जांच आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसे 3 जुलाई 2025 को न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच ने खारिज कर दिया। दरअसल, यही याचिका पहले 8 अप्रैल 2024 को एक अन्य बेंच द्वारा पहले ही खारिज की जा चुकी थी। दोबारा वही मुद्दा उठाने पर कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य नहीं माना।

याचिका खारिज होने के बाद अधिवक्ता सैमसन मसीह ने टिप्पणी कर दी थी कि मुझे पता था कि इस बेंच से मुझे न्याय नहीं मिलेगा। इस बयान को अदालत की अवमानना माना गया। इसके बाद डिवीजन बेंच ने इस पर संज्ञान लेते हुए उन्हें अवमानना नोटिस जारी किया और मामले को संबंधित सिंगल बेंच को भेज दिया।

18 जुलाई को अधिवक्ता मसीह हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। उन्होंने हलफनामा देकर अपने कथन के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगी और भविष्य में ऐसी गलती न दोहराने का भरोसा दिलाया। आज, 23 जुलाई को फिर से व्यक्तिगत उपस्थिति में उन्होंने माफी दोहराई और अपनी गलती स्वीकार की।

जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने आदेश में कहा कि जब कोई गहरा आघात पहुंचाता है, तो क्रोध, आक्रोश और दुःख जैसी तीव्र भावनाएं आना स्वाभाविक है। लेकिन क्षमा एक यात्रा है, जिसमें भावनात्मक बोझ को छोड़कर आगे बढ़ना होता है। यह आंतरिक शक्ति और उदार हृदय का प्रतीक है।

न्यायालय ने अधिवक्ता द्वारा दर्शाए गए वास्तविक पश्चाताप और प्रतिबद्धता को स्वीकार करते हुए बिना शर्त माफी को मंजूर कर लिया। इसके साथ ही यह आदेश डिवीजन बेंच को भी भेज दिया गया है।

 


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