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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 जुलाई। हाईकोर्ट में एक वकील को न्यायाधीश के फैसले पर खुली अदालत में टिप्पणी करना महंगा पड़ गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उस वकील को अवमानना नोटिस जारी कर दिया है और 18 जुलाई को खुद कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।
मालूम हो कि जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की सिंगल बेंच में श्यामलाल मलिक बनाम ममता दास केस की सुनवाई हुई थी। इस केस में कोर्ट ने 3 जुलाई को याचिका खारिज कर दी थी। याचिकाकर्ता की तरफ से सीनियर एडवोकेट डॉ. निर्मल शुक्ला और सैमसन सैमुअल मसीह पैरवी कर रहे थे, वहीं प्रतिवादी की तरफ से वरुण वत्स पेश हुए थे। सुनवाई के दौरान पुरानी याचिका के फैसले का हवाला देकर कोर्ट ने यह केस खारिज किया।
लेकिन याचिका खारिज होने के बाद एडवोकेट सैमसन मसीह ने कोर्ट में ही कहा- "मुझे पता था इस बेंच से मुझे इंसाफ नहीं मिलेगा।" इस बयान को कोर्ट ने सीधे अदालत की अवमानना माना है। जस्टिस पांडेय ने इस मुद्दे को विचार के लिए चीफ जस्टिस के पास भेज दिया।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस विभूदत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा कि वकील का इस तरह का बयान न सिर्फ गलत है, बल्कि यह अदालत की गरिमा को भी ठेस पहुंचाता है। कोर्ट ने कहा कि एक वकील को सिर्फ अपने क्लाइंट का ही नहीं, बल्कि कोर्ट का अधिकारी होने के नाते पेशेवर आचरण और नियमों का भी पालन करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की टिप्पणी कोर्ट की छवि खराब करती है, इसलिए इस पर सख्त कार्रवाई जरूरी है। अब सैम्सन मसीह को बताना होगा कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए।
इसके लिए हाईकोर्ट ने रजिस्ट्री जनरल के जरिए नोटिस जारी किया है और आदेश दिया है कि सैमसन मसीह को 18 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से हाईकोर्ट में हाजिर होना होगा।
इस मामले को लेकर 10 जुलाई को प्रशासनिक स्तर पर चीफ जस्टिस के सामने पूरा प्रकरण रखा गया था। चीफ जस्टिस ने रजिस्ट्री को नियम के मुताबिक अवमानना याचिका दर्ज करने के निर्देश दिए। इसके बाद यह मामला कोर्ट में लिस्ट हुआ और सुनवाई में यह नोटिस जारी किया गया।