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-गौरव गुलमोहर
उत्तर प्रदेश के जौनपुर ज़िले के मुंगरा बादशाहपुर थाने के प्रभारी सहित चार पुलिसकर्मियों को हाई कोर्ट के आदेश पर हुई जांच के बाद निलंबित कर दिया गया है.
इन चारों पर गौरी शंकर सरोज नाम के एक याचिकाकर्ता को धमकी देने और रिश्वत लेने के मामले में दोषी पाया गया है.
इस मामले में क्षेत्रीय लेखपाल को भी निलंबित किया गया है. मुंगरा बादशाहपुर के चार पुलिसकर्मियों पर ये कार्रवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश पर हुई जांच के बाद की गई है.
जौनपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ ने याचिकाकर्ता पर दबाव बनाने और रिश्वत लेने के मामले में चार पुलिसकर्मियों को दोषी पाए जाने और उन्हें निलंबित किए जाने की पुष्टि की है.
सभी पुलिसकर्मियों पर गंभीर धाराओं के तहत मुकदमा भी दर्ज किया गया है.
मामला क्या है?
याचिकाकर्ता गौरी शंकर सरोज ने आरोप लगाया था कि उन पर सार्वजनिक भूमि पर कब्जे़ के विरोध से जुड़ी याचिका वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा था.
उनके बेटे जोखन सरोज ने बीबीसी हिंदी को बताया, "हमारे पिता ने सार्वजनिक ज़मीन पर कब्जे़ के ख़िलाफ़ जनहित याचिका दायर की थी. 17 मई को थाने से दो सिपाही आए और मेरे बेटे रजनीश सरोज को गाड़ी में बैठा कर ले गए. मुझे पता चला तो मैंने रास्ते में पुलिस की गाड़ी को रोका, मुझसे दो हजार रुपये लेकर उन्होंने बेटे को छोड़ दिया."
मुंगरा बादशाहपुर थाने के नए थाना प्रभारी केके सिंह ने बताया, "गौरी शंकर सरोज मामले में थाना प्रभारी दिलीप सिंह, एसआई इंद्रदेव सिंह, सिपाही पंकज मौर्य और सिपाही नीतीश गौड़ पर कार्रवाई की गई है. इसके अलावा एक ग्रामीण और लेखपाल विजय शंकर पर सुसंगत धाराओं में केस दर्ज किया गया है."
उन्होंने बताया, "सभी आरोपियों पर एंटी करप्शन एक्ट की धारा 7, एससी/एसटी एक्ट, भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(1), 352 और 351(2) के तहत मुक़दमा लिखा गया है. विवेचना के आधार पर देखा जाएगा किस पर कौन सी धाराएं बन रही हैं." (bbc.com/hindi)