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6 साल की बेटी की गवाही पर्याप्त, मां और प्रेमी के उम्रकैद की सजा बरकरार
13-Jul-2025 12:15 PM
6 साल की बेटी की गवाही पर्याप्त, मां और प्रेमी के उम्रकैद की सजा बरकरार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 13 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कत्ल के एक मामले में कहा है कि 6 साल की मासूम बच्ची की गवाही सजा देने के लिए काफी है। कोर्ट ने आरोपी की अपील खारिज करते हुए कहा कि बच्ची ने जो अपनी आंखों से देखा, वही सच है और इसके लिए किसी और सबूत की जरूरत नहीं।

मामला उत्तर बस्तर कांकेर जिले का है। 13 दिसंबर 2016 को राज सिंह पटेल ने पुलिस को बताया कि गांव के मानसाय ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। बाद में पुलिस ने मृतक की 6 साल की बेटी का बयान लिया तो हत्या का रहस्य खुला। बच्ची ने 8 जनवरी 2017 को बयान दिया कि जिस रात उसके पिता की मौत हुई, उस रात आरोपी पंकू ने उसके पापा के पेट में लात मारी थी और मां सगोरा बाई ने दुपट्टे से गला घोंटा था। इसके बाद दोनों ने मिलकर शव को देवघर में ले जाकर बीच की बल्ली में लटका दिया।

बच्ची ने बताया कि तब उसकी मां चूल्हे के पास बैठी थी और जब वह चिल्लाने लगी तो मां ने उसे चुप करा दिया। बच्ची के बयान के आधार पर पुलिस ने कत्ल का केस दर्ज किया और पंकू और सगोरा बाई को गिरफ्तार कर कोर्ट में चालान पेश किया। निचली अदालत ने दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

सजा के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। उनका कहना था कि 6 साल की बच्ची की गवाही भरोसे लायक नहीं है और उसके बयान में देरी हुई है। लेकिन जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस सचिन सिंह राजपूत की डिवीजन बेंच ने यह दलील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि बच्ची ने अपनी आंखों से जो देखा, वही सच है। घटना की पूरी जानकारी उसने साफ-साफ बताई कि कैसे उसके पिता के पेट में लात मारी गई, फिर दुपट्टे से गला घोंटा गया और देवघर में शव को लटकाया गया।

कोर्ट ने कहा कि बच्ची की गवाही में कोई विरोधाभास नहीं है और उसने कोर्ट के पूछे सवालों के सही जवाब भी दिए। ऐसे में उसकी बात को झुठलाया नहीं जा सकता।

कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला सही मानते हुए दोनों आरोपियों की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। हालांकि कोर्ट ने आरोपियों को लीगल सर्विसेस अथॉरिटी की मदद से सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की छूट दी है।


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