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जम्मू-कश्मीर के नौहट्टा इलाक़े में एक क़ब्रिस्तान की ओर जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया गया है. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है.
पीटीआई के मुताबिक़, श्रीनगर शहर के सभी प्रवेश मार्गों पर भारी संख्या में पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है.
मामले पर राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह और पूर्व सीएम महबूबा मुफ़्ती ने प्रतिक्रिया दी है.
उमर अब्दुल्लाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अलोकतांत्रिक क़दम है कि घरों को बाहर से बंद कर दिया गया. पुलिस और केंद्रीय बलों को जेलर की तरह तैनात किया गया है. श्रीनगर के प्रमुख पुलों को बंद कर दिया गया."
उन्होंने कहा है कि 'यह सब इसलिए किया जा रहा है कि उस ऐतिहासिक क़ब्रिस्तान पर लोगों को जाने से रोका जाए, जहां वे लोग दफ़्न हैं जिन्होंने कश्मीरियों को आवाज़ देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए अपनी जान दी. मैं कभी नहीं समझ पाऊंगा कि क़ानून-व्यवस्था वाली सरकार किस बात से इतना डरती है.'
महबूबा मुफ़्ती ने कहा, "जिस दिन आप हमारे नायकों को अपना मान लेंगे, ठीक वैसे ही जैसे कश्मीरियों ने आपके नायकों महात्मा गांधी से लेकर भगत सिंह तक को अपनाया है, उस दिन 'दिल की दूरी' जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, सही में ख़त्म हो जाएगी."
श्रीनगर पुलिस ने एक्स पर सार्वजनिक परामर्श जारी कर कहा, ‘‘श्रीनगर ज़िला प्रशासन ने 13 जुलाई 2025 (रविवार) को ख्वाजा बाज़ार, नौहट्टा की ओर जाने का अनुरोध करने वालों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है.’’
पुलिस ने कहा, "आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे इन निर्देशों का सख़्ती से पालन करें और ज़िला प्रशासन द्वारा जारी आदेशों का उल्लंघन करने से बचें."
पुलिस ने आगाह किया, ‘‘इन आदेशों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन करने पर क़ानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत सख़्त कार्रवाई की जाएगी.’’
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने से पहले जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश होता था.
कश्मीर में तत्कालीन डोगरा शासन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने पर 1931 में श्रीनगर सेंट्रल जेल के सामने 21 लोगों को मार दिया गया था.
हर साल 13 जुलाई को इस दिन को स्थानीय लोग 'शहीद दिवस' के तौर पर मनाते हैं और लोग मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हैं. (bbc.com/hindi)