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बुद्धदेव भट्टाचार्य की पत्नी पद्म भूषण सम्मान ठुकराने पर बोलीं
26-Jan-2022 12:29 PM
बुद्धदेव भट्टाचार्य की पत्नी पद्म भूषण सम्मान ठुकराने पर बोलीं

-प्रभाकर मणि तिवारी

बुज़ुर्ग वामपंथी नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने गणतंत्र दिवस के मौक़े पर केंद्र सरकार की ओर से घोषित पद्मभूषण सम्मान लेने से इनकार कर दिया है.

लंबे समय से उम्र जनित बीमारियों से जूझ रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य ने मंगलवार देर रात जारी एक बयान में कहा, "पद्मभूषण पुरस्कार के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है. मुझे किसी ने इस बारे में पहले नहीं बताया है. अगर मुझे पद्मभूषण पुरस्कार देने का एलान किया गया है तो मैं इसे लेने से इनकार करता हूं."

पूर्व सीएम की पत्नी मीरा भट्टाचार्य ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में कहा,"बुद्धदेव शारीरिक रूप से कमज़ोर होने के बावजूद फ़ैसले लेने में पहले की तरह ही मज़बूत और दृढ़संकल्प हैं. इसलिए उन्होंने इस पुरस्कार को नहीं लेने का फ़ैसला किया है."

उनके साथ ही जानी-मानी गायिका संध्या मुखर्जी और तबला वादक अनिंद्य चटर्जी ने भी पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है.

बुद्धदेव के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार दोपहर केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने फ़ोन पर उनको पद्मभूषण पुरस्कार दिए जाने की सूचना दी थी. उसके बाद शाम को सरकार ने उनके नाम का एलान कर दिया.

लेकिन तब तक पूर्व सीएम को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. इस बारे में जानकारी मिलते ही उन्होंने यह पुरस्कार नहीं लेने का फ़ैसला किया. बुद्धदेव को राजनीति में उनके योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया था.

सीपीएम का पक्ष
बुद्धदेव के बयान के बाद सीपीएम ने भी यहाँ जारी एक बयान में कहा कि पद्मभूषण पुरस्कार के लिए मनोनीत कॉमरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य ने यह पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है. सीपीएम शुरू से ही ऐसे पुरस्कार ठुकराती रही है. हमारा काम आम लोगों के लिए है, अवॉर्ड के लिए नहीं. इससे पहले ईएमएस नंबूदरीपाद ने भी अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था.

पद्म पुरस्कार के लिए पूर्व सीएम के नाम के एलान के बाद ही राजनीतिक हलकों में यह सवाल पूछा जा रहा था कि क्या बंगाल के आख़िरी वामपंथी मुख्यमंत्री यह पुरस्कार स्वीकार करेंगे?

इस पर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. पूछा जा रहा था कि क्या बुद्धदेव आजीवन जिस भाजपा के कथित ख़तरे के प्रति बंगाल के लोगों को चेताते रहे थे, उसका दिया सम्मान वह स्वीकार करेंगे?

लेकिन कुछ देर बाद ही इस वामपंथी नेता ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर इन अटकलों को विराम दे दिया.

सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती कहते हैं,''वामपंथी अवॉर्ड के लिए काम नहीं करते. यूपीए सरकार के दौरान पश्चिम बंगाल के एक और पूर्व सीएम ज्योति बसु को भारत रत्न देने की पेशकश की गई थी. लेकिन पार्टी ने तब भी उसे लेने से इनकार कर दिया था. बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पार्टी लाइन के अनुरूप ही इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं करने का फ़ैसला किया है."

बुद्धदेव के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि दिल्ली से लैंडलाइन पर आने वाले फ़ोन पर सिर्फ़ पूर्व सीएम को पद्म पुरस्कार देने की बात कह कर फ़ोन काट दिया गया. वह फ़ोन किसी और ने उठाया था. अस्वस्थता की वजह से बुद्धदेव ख़ुद फोन नहीं उठाते. परंपरा के मुताबिक़ पुरस्कार के लिए नाम का एलान करने से पहले बुद्धदेव की सहमति नहीं ली गई.

हालांकि पीटीआई ने देर रात जारी एक ख़बर में सूत्रों के हवाले कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से शीर्ष अधिकारी ने भट्टाचार्य के घर फ़ोन कर उनको पद्मभूषण अवॉर्ड के बारे में जानकारी दी थी. अंग्रेज़ी अख़बार हिंदुस्तान टाइम्स ने गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले लिखा है कि मंगलवार को फ़ोन पर बुद्धदेव के परिवार को पद्म भूषण पुरस्कार के बारे में जानकारी दी गई थी और पद्म पुरस्कार देने के लिए सहमति लेने का कोई प्रावधान नहीं है.

इस दावे की पुष्टि के लिए देर रात कई बार प्रयास करने के बावजूद पूर्व सीएम की पत्नी मीरा भट्टाचार्य या परिवार के किसी सदस्य से बात नहीं हो सकी.

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष कहते हैं, "पद्म पुरस्कार स्वीकार नहीं करना बुद्धदेव का निजी फ़ैसला है. देश ने उनको सम्मानित करने का फ़ैसला किया. अब यह फ़ैसला उनको करना है कि वे इसे स्वीकार करना चाहते हैं या नहीं."

दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया है कि बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म सम्मान देने के फ़ैसले से सीपीएम और भाजपा की मिलीभगत की बात सामने आई है. पार्टी महासचिव कुणाल घोष ने कहा, "बुद्धदेव को नंदीग्राम और सिंगूर में जबरन भूमि अधिग्रहण के लिए याद रखा जाएगा. लेकिन उनको पद्म सम्मान देने के फैसले से बंगाल में सीपीएम और भाजपा के बीच मिलीभगत सामने आ गई है."

संध्या और अनिंद्य ने भी किया इनकार
जानी-मानी गायिका संध्या मुखर्जी से फ़ोन पर उनकी सहमति मांगी गई थी. लेकिन उन्होंने पुरस्कार पर सहमति नहीं दी. संध्या कहती हैं, "कोई इस तरह पद्मश्री देता है? क्या उनको मेरे बारे में कोई जानकारी नहीं है? नब्बे वर्ष की उम्र में मुझे पद्मश्री लेना होगा? अब कलाकारों की कोई इज्ज़त ही नहीं बची है."

वर्ष 1971 में 'जय जयंती' और 'निशिपद्म' फ़िल्मों में अपने गीतों की वजह से श्रेष्ठ गायिका का राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली संध्या को वर्ष 2011 में राज्य सरकार ने बंग विभूषण सम्मान से सम्मानित किया था.

संध्या कहती हैं, "मैंने हिंदी में फ़ोन पर दो-टूक कह दिया कि मुझे पद्मश्री की कोई जरूरत नहीं है. श्रोता ही मेरे लिए सब कुछ हैं."

तबला वादक पंडित अनिंद्य चटर्जी ने भी पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है. एक स्थानीय टीवी चैनल से बातचीत में उनका कहना था, "अब इस उम्र (67) में पद्मश्री मिलना सम्मानजनक नहीं है. मुझे बहुत पहले ही यह पुरस्कार मिलना चाहिए था." (bbc.com)


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