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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 23 जनवरी। महार जाति की एक कर्मचारी का जाति प्रमाण पत्र निरस्त करने के उच्च स्तरीय छानबीन समिति के आदेश को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया।
कलेक्ट्रेट कार्यालय रायपुर में सहायक ग्रेड 3 पद पर पदस्थ शोभना वाल्दे के खिलाफ शिकायत की गई थी कि वह फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शासकीय सेवा का लाभ ले रही हैं। उच्च स्तरीय जाति छानबीन समिति ने जांच के बाद याचिकाकर्ता के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया। इस आदेश के विरुद्ध हाईकोर्ट में शोभना वाल्दे ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से याचिका प्रस्तुत की। उन्होंने याचिका में कहा कि उनके पिता वर्ष 1950 में अकोला महाराष्ट्र के निवासी थे। उनकी 1954 में टेलीफोन विभाग में नौकरी लगी और उन्हें अविभाजित मध्यप्रदेश के रायपुर में पदस्थ किया गया। याचिकाकर्ता का जन्म 1967 में रायपुर में ही हुआ और शिक्षा भी रायपुर में हुई। स्कूल रिकॉर्ड में याचिकाकर्ता की जाति महार दर्ज है। प्रकरण पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पी सैम कोशी ने प्रमाण पत्र निरस्त करने के आदेश पर रोक लगा दी है।


