ताजा खबर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जनवरी। छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु और वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम की अनुसूची एक के संरक्षित वन भैसों के छत्तीसगढ़ में विलुप्ति के कगार पर पहुंचने के बाद असम से लाए गए 2 वन भैसों को वापस असम भिजवाने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर आज छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश अरूप कुमार गोस्वामी एवं न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की युगल पीठ ने केंद्र शासन, छत्तीसगढ़ शासन, मुख्य वन्यजीव संरक्षक छत्तीसगढ़, असम सरकार और वहां के मुख्य वन्यजीव संरक्षक को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि भारत सरकार ने 5 मादा भैंसों और एक नर भैंसा को असम के मानस नेशनल पार्क से पकड़ कर छत्तीसगढ़ के बारनवापारा अभ्यारण के जंगल में पुनर्वासित करने की अनुमति दी थी। अप्रैल 2020 में मानस नेशनल पार्क असम से छत्तीसगढ़ वन विभाग, एक मादा वन भैंसा और एक नर वन भैंसा को लाकर बारनवापारा अभ्यारण के बाड़े में रख रखा है। छत्तीसगढ़ वन विभाग की योजना यह है कि इन वन भैंसों को बाड़े में रखकर उनसे प्रजनन कराया जाएगा। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के अनुसार शेड्यूल 1 के वन्य प्राणी को ट्रांसलोकेट करने उपरांत वापस वन में छोड़ा जाना अनिवार्य है, जबकि छत्तीसगढ़ वन विभाग ने इन्हें बाड़े में कैद कर रखा है। यहाँ तक कि असम से लाए गए वन भैसों से पैदा हुए वन भैसों को भी जंगल में नहीं छोड़ा जायेगा। यानि, बाड़े में ही संख्या बढ़ाई जाएगी।
छत्तीसगढ़ वन विभाग ने वन में वापस वन भैसों को छोडऩे ने नाम से अनुमति ली और उन्हें प्रजनन के नाम से बंधक बना रखा है, जो कि वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम के तहत अपराध है। बंधक बनाये रखने के कारण कुछ समय में वन भैसे अपना स्वाभाविक गुण खोने लगते हैं। वन विभाग ने शेष चार वन भैसों को लाने की योजना बना रखी है।
छत्तीसगढ़ में जब वन भैंसे लाए जाने थे, तब छत्तीसगढ़ वन विभाग ने योजना बनाई थी कि असम से मादा वन भैसा लाकर, उदंती के नर वन भैसों से नई जीन पूल तैयार करवाएंगे। तब भारत सरकार की सर्वोच्च संस्था भारतीय वन्यजीव संस्थान ने आपत्ति दर्ज की थी कि छत्तीसगढ़ और असम के वन भैंसा के जीन को मिक्स करने से छत्तीसगढ़ के वन भैसों की जीन पूल की विशेषता बरकरार नहीं रखी जा सकेगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने बताया था कि छत्तीसगढ़ के वन भैंसों की जीन पूल विश्व में शुद्धतम है। सीसीएमबी नामक डी.एन.ए. जांचने वाली संस्थान ने भी कहा है कि असम के वन भैंसों में भौगोलिक स्थिति के कारण आनुवंशिकी फर्क है। सर्वोच्च न्यायालय ने टीएन गोदावरमन नामक प्रकरण में आदेशित किया था कि छत्तीसगढ़ के वन भैसों की शुद्धता बरकरार रखी जाए।
असम से जिस मानक नेशनल पार्क से वन भैंसे लाए गए हैं वह टाइगर रिजर्व है। अत: एनटीसीए की अनुमति अनिवार्य थी। एनटीसीए की तकनीकी समिति ने असम के वन भैंसों को छत्तीसगढ़ के बारनवापारा में पुनर्वासित करने के करने के पूर्व परिस्थितिकी अर्थात इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी रिपोर्ट मंगवाई थी। ताकि इससे यह पता लगाया जा सके कि असम के वन भैंसों छत्तीसगढ़ में रह सकते हैं कि नहीं। परन्तु छत्तीसगढ़ वन विभाग बिना इकोलॉजिकल सूटेबिलिटी अध्ययन कराये और एनटीसीए को रिपोर्ट किये वन भैसों को ले कर आ गया है।


