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भारत में कोरोना संक्रमण के मामले हर रोज़ तेज़ी से बढ़ रहे हैं. बीते तीन दिनों से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार एक लाख के आंकड़े को पार कर रहे हैं. आठ जनवरी को तो देश में कोरोना संक्रमण के डेढ़ लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए थे.
हिंदी दैनिक हिंदुस्तान हिंदुस्तान की ख़बर के अनुसार, कोविड-19 के प्रसार का संकेत देने वाला आर फैक्टर या आर वैल्यू इस सप्ताह चार दर्ज किया गया है. ये इस बात का इशारा है कि संक्रमण के प्रसार की दर बहुत अधिक है.
आर फैक्टर बताता है कि एक संक्रमित व्यक्ति कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है. अगर यह फैक्टर एक नीचे चला जाता है तो इस महामारी को ख़त्म माना जाएगा.
आईआईटी मद्रास के शुरुआती विश्लेषण में तीसरी लहर के एक से 15 फ़रवरी के बीच पीक पर पहुंचने की आशंका जताई है.
आईआईटी मद्रास की कम्प्यूटेशनल मॉडलिंग के प्रारंभिक विश्लेषण के आधार पर पिछले सप्ताह आर फैक्टर राष्ट्रीय स्तर पर 2.9 के लगभग था. इस सप्ताह यह संख्या चार दर्ज की गई है.
दिल्ली के छह प्रमुख अस्पतालों के कम से कम 750 डॉक्टर, सौ से अधिक नर्सें और पैरमेडिक कोविड पॉज़िटिव हो गए हैं. हालांकि उनमें से ज़्यादातर में कोरोना संक्रमण के लक्षण माइल्ड हैं लेकिन इससे अस्पतालों में कार्यक्षमता बहुत अधिक प्रभावित हो रही है.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक ख़बर के अनुसार, ये सभी स्वास्थ्यकर्मी फिलहाल आइसोलेशन में हैं और अपने घरों में हैं लेकिन उनकी ग़ैर-मौजूदगी से अस्पतालों को अपनी नियमित कार्यक्षमता को घटाना पड़ा है. रूटीन क्लीनिक्स और सर्जरी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान इस संकट से सबसे अधिक जूझ रहा है.
एम्स में फिलहाल 350 रेज़िडेंट डॉक्टर इस समय आइसोलेशन में हैं. ये सिर्फ़ रेज़ीडेंट डॉक्टरों की संख्या है.
अस्पताल के एक रेज़िडेंट डॉक्टर ने बताया कि कुछ फ़ैकल्टी मेंबर्स और बहुत सी नर्सें और पैरामेडिक्स भी कोरेना पॉज़ीटिव हो गए हैं.
एम्स के अलावा दिल्ली के गुरू तेग बहादुर अस्पताल में क़रीब 175 स्वास्थ्य कर्मचारी कोरोना पॉज़िटिव हैं, जिनमें से 125 डॉक्टर हैं.
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और इससे संबंधित दो अस्पतालों में क़रीब 100 रेज़िडेंट डॉक्टर फिलहाल कोरोना पॉज़ीटिव हैं.
आरएमएल अस्पताल के 90 डॉक्टर फ़िलहाल आइसोलेशन में हैं. वहीं सफ़दरजंग के क़रीब 200 रेज़िडेंट डॉक्टर कोरोना पॉज़िटिव हैं. इसके अलावा लोक नायक अस्पताल के 29 स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना पॉज़िटिव पाए गए हैं.
फिच सॉल्यूशंस ने शुक्रवार को कहा है कि नियामकों से देश में कई दवा कंपनियों को मोल्नुपीराविर के जेनेरिक वर्ज़न के निर्माण और आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिलने के बाद भारत कोविड-19 एंटीवायरल जेनेरिक दवाओं के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र बन जाएगा.
कोविड-19 के इलाज में कारगर मानी जा रही कई दवाओं के आपात उपयोग की मंजूरी दिए जाने के बाद भारत अब इस महामारी से जुड़ी एंटीवायरल दवाओं के उत्पादन का सबसे बड़ा हब बनकर उभरेगा.
द हिंदू में छपी एक ख़बर के अनुसार, फिच सॉल्यूशंस ने कहा, "कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए, मोल्नुपीराविर के जेनेरिक वर्ज़न अस्पतालों में भर्ती होने की स्थिति में लोगों की जान बचाने में मददगार साबित हो सकते हैं."


