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अमेरिकी की यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन में भ्रमर मुखर्जी बायोस्टैटिस्टिक्स की प्रोफ़ेसर हैं. वह पिछले दो सालों से भारत में कोविड-19 महामारी को देख समझ रही हैं.
अभी वह पश्चिम बंगाल के बीरभूम में शांतिनिकेतन के पास रुपुर में अपने माता-पिता के फार्महाउस में आई हुई हैं. कोलकाता से प्रकाशित होने वाले अंग्रेज़ी दैनिक टेलीग्राफ़ में आज भ्रमर मुखर्जी का इंटरव्यू छपा है.
इस इंटरव्यू में मुखर्जी ने भारत में ओमिक्रॉन वेरिएंट की लहर और कोविड महामारी में भारत के डेटा पर बात की है. भ्रमर मुखर्जी ने कहा है कि भारत कोविड की तीसरी आंधी में समा चुका है.
भ्रमर मुखर्जी ने भारत में ओमिक्रॉन की लहर को लेकर कहा, ''हमारी स्टडी का आकलन है कि भारत में संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है. जिन्होंने वैक्सीन की एक डोज़ ली है या पहले संक्रमित हो चुके हैं, उनमें से 50 फ़ीसदी लोग ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं. अगर हम दक्षिण अफ़्रीका की गंभीरता के आधार पर कहें तो कोरोना की दूसरी लहर में जितने लोगों की मौत हुई थी, उसका 30 से 50 फ़ीसदी मौत की आशंका ओमिक्रॉन से है. वैक्सीन के कारण इन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं करना होगा. लेकिन ये अनुमान कई मान्यताओं पर आधारित हैं, जो भारत में सच भी हो सकते हैं और नहीं भी.''
''भारत के साथ अच्छी यह है कि बड़ी संख्या में लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज़ लग चुकी है और बड़ी संख्या में लोग पहले ही संक्रमित भी हो चुके हैं. हमारा अनुमान है कि भारत में दूसरी लहर में जितनी मौत हुई थी, उसके 40 फ़ीसदी मौत की आशंका ओमिक्रॉन से है.''
भ्रमर मुखर्जी ने कहा, ''भारत में इस बार कोविड की गंभीरता और मौत का अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि हमारे पास अस्पतालों में भर्ती होने वालों और यहाँ तक कि कोविड से मरने वालों की सही संख्या का पता नहीं है. जैसा कि हमने अमेरिका में देखा कि अतिरिक्त मृत्यु दर न केवल ओमिक्रॉन और डेल्टा की भयावहता से है बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं नाकाफ़ी होने से भी है.''
आपने ट्वीट किया था कि ओमिक्रॉन बहुत ख़तरनाक नहीं है. इस नैरेटिव के कारण लोगों ने इसे हल्के में लिया और अमेरिका में इसका असर साफ़ दिख रहा है. ओमिक्रॉन के कम ख़तरनाक होने और भारत में अभी जिस तरह से संक्रमण बढ़ रहा है, उसे कैसे देखती हैं?
भ्रमर मुखर्जी कहती हैं, ''मैंने देखा कि ओमिक्रॉन को लेकर एहतियात में काफ़ी कन्फ़्यूजन है. अगर यह कम ख़तरनाक भी है तो बिना एहतियात के संक्रमण तेज़ी से बढ़ेगा और इससे न केवल हेल्थ सेक्टर पर बोझ बढ़ेगा बल्कि हर सेक्टर का श्रम प्रभावित होगा. ओमिक्रॉन सबके लिए कम ख़तरनाक नहीं है. जिनकी सेहत पहले से ही ख़राब है, उनकी जिंदगी को हम इस मामले में कमतर आंक रहे हैं. भारत समेत कई दूसरे देशों ने ग़लतियां की हैं. यहां जब तक संक्रमण में तेज़ वृद्धि नहीं होती है तब तक लोग इंतज़ार करते रहते हैं. अगर हम पहले से ही स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त कर लें तो लॉकडाउन से बचा जा सकता है. हमें टीकाकरण, मास्क की अनिवार्यता और भीड़ वाले कार्यक्रमों से परहेज को सख़्ती से लागू करना होगा.''
ओमिक्रॉन संक्रमण के कम ख़तरनाक होने के सबूत कितने ठोस हैं? क्या ओमिक्रॉन के कम ख़तरनाक होने वाली बात भारत जैसे घनघोर आबादी वाले देश में कोई मायने नहीं रखती है?
इस सवाल के जवाब में भ्रमर मुखर्जी ने कहा, ''हम देख रहे हैं कि वैक्सीन के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौत को रोकने में मदद मिल रही है. यही उम्मीद है. लेकिन ख़तरे के दो हिस्से हैं. अगर आप संक्रमित होते हैं तो इसकी गंभीरता क्या है और आप इससे संक्रमित होते हैं या नहीं. हमें लग रहा है कि हम पहले वाले पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. हम इस चीज़ को भूल रहे हैं कि संक्रमण तेज़ी से बढ़ रहा है. ख़तरा दोनों स्तरों पर है. जब लोगों की ज़िंदगी और अस्पतालों के संसाधनों की बात आती है तो संक्रमण दर मायने रखती है लेकिन कुल संख्या भी अहम है. हम वायरस को म्यूटेट होने दे रहे हैं और इससे नए वेरिएंट के आने का भी ख़तरा है.''
भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 10 से 15 दिन पहले ही भारत में कोरोना की तीसरी लहर शुरू हो गई है. क्या आप मानती हैं कि अब भी वक़्त है कि भारत सक्रियता और सख़्ती से क़दम उठाए ताकि तीसरी लहर की तबाही को कम किया जा सके?
इस सवाल के जवाब में भ्रमर मुखर्जी ने कहा, ''अगर मैं सरकार में होती तो दिसंबर की शुरुआत में ही ओमिक्रॉन की पहचान हुई थी और उसी वक़्त बूस्टर डोज़ के साथ मास्क को लेकर सख़्ती से नियम बनाती. हमें पता है कि हम केवल ट्रैवेल बैन से कोविड को नहीं रोक सकते हैं.'' (bbc.com)


