ताजा खबर
-दिलीप कुमार शर्मा
असम पुलिस ने पद्म पुरस्कार विजेता उद्धव कुमार भराली के ख़िलाफ़ एक नाबालिग के साथ बलात्कार करने के आरोप में मामला दर्ज किया है.
यह मामला नॉर्थ लखीमपुर थाने में दर्ज किया गया है.
पुलिस के मुताबिक ये मामला बाल यौन शोषण संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो एक्ट) की धारा 6 और आईपीसी की धारा 354/376(i)/376(j)/376(k) के तहत दर्ज किया गया है.
असम में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में 140 से अधिक इनोवेशन के लिए पहचाने जाने वाले उद्धव कुमार भराली को साल 2019 में पद्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
इन आरोपों में कहा गया है कि पीड़िता जब भराली की देखरेख में उनके घर पर रह रही थी उस दौरान उनके के साथ एक साल तक यौन उत्पीड़न किया गया.
हालांकि भराली के वकील ए एम बोरा ने अदालत के समक्ष कहा है कि लखीमपुर में मौजूद बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के साथ हुए एक विवाद के बाद भराली पर ये तमाम आरोप लगाए गए हैं. इसलिए सीडब्ल्यूसी के ख़िलाफ़ भराली को अपमानित करने और उनकी प्रतिष्ठा को ख़राब करने के आरोप में एक जवाबी याचिका दर्ज की गई है.
जबकि असम पुलिस ने एक मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की शिकायत के आधार पर भराली के ख़िलाफ़ यह मामला दर्ज किया है.
ऐसी जानकारी है कि 17 दिसंबर को ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण ने मजिस्ट्रेट को इस मामले की जानकारी दी थी.
जमानत मिली
दरअसल, यह मामला दर्ज होने के बाद गिरफ़्तारी से बचने के लिए भराली ने गुवाहाटी हाई कोर्ट में अग्रिम ज़मानत के लिए गुहार लगाई थी. इस पर जस्टिस अरुण देव चौधरी की अदालत ने 28 दिसंबर को भराली को सशर्त जमानत देते हुए 7 जनवरी को केस डायरी दाख़िल करने का आदेश दिया है.
अदालत में सरकारी वकील ने भराली को अग्रीम जमानत देने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि इस तरह के गंभीर आरोपों के मामले में किसी व्यक्ति के 'सोशल स्टेटस' पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.
बीबीसी के पास मौजूद अदालत के आदेश की कॉपी में भराली के वकील ए एम बोरा ने अपना तर्क देते हुए कहा है कि "पद्मश्री" जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित भराली के पास 460 मशीनरी का पेटेंट है.
वकील बोरा के अनुसार, सीडब्ल्यूसी, लखीमपुर कार्यालय के अनुरोध पर ही भराली ने दो लड़कियों को पालन-पोषण के लिए अपने घर पर रखा था. साल 2020 के फोस्टर केयर से संबंधित एक आदेश के बाद से दोनों लड़कियां भराली के परिवार के सदस्यों के रूप में उनके घर रह रही थीं.
वकील बोरा का कहना है कि उसके बाद बाल कल्याण समिति के साथ कुछ विवाद हुआ और दोनों लड़कियों को इस साल 28 अक्टूबर को वापस सीडब्ल्यूसी को सौंप दिया गया.
हालांकि पुलिस में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार यह मामला पहली बार तब सामने आया जब सीडब्ल्यूसी के सदस्यों ने 30 नवंबर को पीड़िता के बयान के साथ जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण से संपर्क किया और उनसे उपलब्ध कानूनी उपायों में मदद करने का अनुरोध किया.
जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण के अनुसार ये 'आरोप' बेहद गंभीर थे. एक जानकारी के अनुसार पुलिस ने अभियुक्त भराली का बयान दर्ज किया है. फिलहाल पीड़िता को विशेष पुलिस सुरक्षा में बाल गृह में रखा गया है. (bbc.com)


