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पीडब्ल्यूडी में सबइंजीनियरों की सीनियरिटी पर विवाद
09-Jun-2021 2:03 PM
पीडब्ल्यूडी में सबइंजीनियरों  की सीनियरिटी पर विवाद

   कमेटी के फैसले का इंतजार, कोर्ट जाने की तैयारी  

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 जून।
दैनिक वेतनभोगी से नियमित हुए पीडब्ल्यूडी के उपअभियंताओं की सीनियरिटी प्रकरण पर विवाद खड़ा हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद विभाग की उच्चस्तरीय समिति करीब 70 उपअभियंताओं की सीनियरिटी पर विचार कर रही है। बताया गया कि ये उपअभियंता दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत अवधि से सीनियरिटी मांग रहे हैं। जिसका बाकी अभियंता विरोध कर रहे हैं। 

बताया गया कि अविभाजित मध्यप्रदेश में 1984 से 90 तक डिप्लोमा  उत्तीर्ण बेरोजगार दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में कार्यरत रहे हैं। बाद में सरकार ने इन सभी कर्मचारियों को उपअभियंता के पद पर नियुक्ति दे दी। बाद में छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद उपअभियंताओं की वरिष्ठता सूची बनाई गई, तो नियमित हुए उपअभियंताओं ने अपने  दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में 10 वर्ष के कार्यकाल को भी नियमित सेवा काल में जोडऩे की वकालत की। 

विभाग द्वारा अमान्य करने पर उपअभियंता प्रशांत कुमार सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट ने इस पर कमेटी बनाकर विचार करने के लिए कहा। तत्कालीन ईएनसी डीके अग्रवाल ने याचिकाकर्ता, और अन्य लोगों को दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में लाभ को मान्य नहीं किया। बाद में इस पूरे मामले में फिर से याचिका दायर की गई। कोर्ट के फैसले के परिपालन में पीडब्ल्यूडी के ईएनसी विजय कुमार भतप्रहरी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। कमेटी में चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, और फाइनेंस ऑफिसर सदस्य हैं। कमेटी को दो दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। 

दूसरी तरफ, दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में सेवा को मान्य करने के बाद सीनियरिटी का निर्धारण करने की दशा में पहले से कार्यरत अभियंताओं की सीनियरिटी खतरे में पड़ सकती है। इससे विशेषकर आरक्षित वर्ग के अभियंता ज्यादा संख्या में प्रभावित हो सकते हैं। इसका विरोध हो रहा है, और इसके खिलाफ मुख्यमंत्री, और मुख्य सचिव को ज्ञापन भी भेजा गया है। 

यह भी बताया गया कि बड़ी संख्या में डिप्लोमाधारी लोगों को मस्टर रोल पर रखने के लिए सीनियर अभियंताओं ने अपने अधिनस्थ अधिकारियों को निर्देश दिए थे, लेकिन यह कोई नियुक्ति आदेश नहीं था। ऐसे में दैनिक वेतनभोगी के रूप में सेवाकाल को तदर्थ नियुक्ति नहीं माना जा सकता है। बहरहाल, कमेटी के फैसले का इंतजार किया जा रहा है, और कई अभियंता दैनिक वेतनभोगी से नियमित हुए उपअभियंताओं के हक में निर्णय लिए जाने की दशा में अदालत में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं। 


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