कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
केशकाल, 17 नवंबर। प्रदेश में 15 नवंबर से धान खरीदी का कार्य शुरू हुआ है। प्रशासन द्वारा हड़ताली कर्मचारियों के स्थान पर वैकल्पिक व्यवस्था लागू की गई है। इसके बावजूद ग्राम बांसकोट के धान खरीदी केंद्र में प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ी कई समस्याएँ सामने आई हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, 17 नवंबर को लगभग 160 क्विंटल धान के टोकन लेकर कई किसान धान बेचने पहुंचे, लेकिन निर्धारित समय पर वहाँ कोई अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। किसानों का कहना है कि सॉफ्टवेयर में एक बार टोकन उपयोग न हो पाने पर वह दोबारा दिखाई नहीं देता, जिसके कारण वे धान बेचने से वंचित हो सकते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पहले दिन (15 नवंबर) भी कर्मचारी केंद्र पर मौजूद नहीं थे और दूसरे दिन रविवार होने से खरीदी बंद रही। तीसरे दिन भी सुबह 12 बजे तक कंप्यूटर ऑपरेटर, पटवारी और पंचायत सचिव अनुपस्थित रहे।
कई ग्रामीणों ने कहा कि वे ऑनलाइन टोकन नहीं काट पाते, इसलिए सुबह से ही ऑफलाइन टोकन के लिए केंद्र पहुंचे थे। ग्रामीणों का कहना है कि लगभग दोपहर बाद ऑपरेटर और पटवारी तो पहुंचे, लेकिन विद्युत आपूर्ति बाधित होने के कारण टोकन जारी नहीं हो सके। कुछ ग्रामीणों ने यह भी बताया कि इनवर्टर मौजूद होने के बावजूद उसका उपयोग नहीं किया जा सका।
लेम्पस अध्यक्ष लक्ष्मीनाथ पटेल ने बताया कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों को एक दिन पहले ही व्यवस्था की जानकारी प्राप्त करने के लिए आने को कहा था और बिजली की समस्या के बारे में भी सूचना दी थी, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए। उन्होंने यह भी कहा कि धान खरीदी प्रांगण में सफाई नहीं थी।कुछ किसानों ने बताया कि वे पंचायत सचिव को पहचानते नहीं हैं और सचिव पंचायत के कार्यों के लिए नियमित रूप से उपलब्ध नहीं रहता। किसान रतनलाल साहू, अनूप सेठिया, आशुलाल यादव सहित कई किसानों ने बताया कि टोकन संबंधी कार्य न हो पाने से धान बेचने में अनिश्चितता बनी हुई है।


