कोण्डागांव

एनएच-30 की खराब सडक़ से दुर्घटनाएं, महिला का हाथ कटा
07-Oct-2025 10:26 PM
एनएच-30 की खराब सडक़ से दुर्घटनाएं, महिला का हाथ कटा

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने लिया संज्ञान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कोण्डागांव, 7 अक्टूबर। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव किरण चतुर्वेदी ने 15 और 20 सितम्बर 2025 को प्रकाशित समाचारों पर संज्ञान लिया है। इन समाचारों में राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 की स्थिति और उससे हो रही दुर्घटनाओं का उल्लेख किया गया था।

राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-30) की स्थिति को लेकर क्षेत्र में चर्चा जारी है। हाल में हुई एक सडक़ दुर्घटना में एक महिला को ट्रक की चपेट में आने से गंभीर चोट आई और इलाज के दौरान उसका एक हाथ काटना पड़ा।

स्थानीय लोगों ने बताया कि घटना स्थल पर सडक़ की स्थिति बहुत खराब थी। महिला अपनी बेटी का इलाज कराने केशकाल स्वास्थ्य केंद्र गई थी। वह भोजन लेकर मोटरसाइकिल से लौट रही थी। सडक़ पर गड्ढों के कारण मोटरसाइकिल असंतुलित हो गई और वह ट्रक से टकरा गई। घायल महिला को तत्काल अस्पताल ले जाया गया।

घटना के बाद तालुका विधिक सेवा समिति केशकाल ने पीडि़ता और उसके परिवार से मुलाकात की तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कोण्डागांव के माध्यम से क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन प्रस्तुत किया है।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि एनएच-30 के कई हिस्सों में सडक़ पूरी तरह से टूट चुकी है, जिससे आवागमन में कठिनाई हो रही है और दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। एक ग्रामीण ने कहा, सरकार ने रोड का नाम तो राष्ट्रीय राजमार्ग रखा है, लेकिन उसकी हालत गांव की गली से भी खराब है। ना कोई साइन बोर्ड है, ना रोशनी, और अब तो जान का खतरा भी है।

ग्रामीणों ने जल्द मरम्मत कार्य शुरू करने की मांग की है ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही, पीडि़ता को न्याय और उचित मुआवजा दिलाने की अपील की गई है।

अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव ने संबंधित समाचारों पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन को आवश्यक कार्यवाही और क्षतिपूर्ति के प्रावधानों के अंतर्गत निर्देश दिए हैं।

अधिवक्ता संघ ने सडक़ की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है, जिसे प्राधिकरण के अध्यक्ष द्वारा स्वीकृति दी गई है।

रिपोर्ट तकनीकी और अनुबंधीय तथ्यों के आधार पर तैयार की जाएगी, ताकि न्यायिक और विधिक कार्यवाही पूर्ण रूप से सुनिश्चित हो सके।


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