कोण्डागांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 11 जुलाई। न्यायाधीशों एवं अधिवक्ताओं के साथ जागरूकता कार्यशाला/बैठक का आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के विश्राम कक्ष में हुआ। कार्यशाला की अध्यक्षता प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोण्डागांव किरण चतुर्वेदी द्वारा की गई। इस अवसर पर समस्त न्यायिक अधिकारियों, अधिवक्ताओं एवं मध्यस्थता केन्द्र से जुड़े सदस्यों की सक्रिय उपस्थिति रही।
न्यायाधीश ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यस्थता न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण विकल्प है, जो समयबद्ध, सुलभ, किफायती एवं सौहार्दपूर्ण समाधान प्रदान करता है। उन्होंने विशेष मध्यस्थता अभियान की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए अधिवक्ताओं से अपिल की कि वे अधिकाधिक मामलों को मध्यस्थता हेतु चिन्हित कर पक्षकारों को इस दिशा में प्रेरित करें।
कार्यशाला बैठक में मध्यस्थता की प्रक्रिया, उसके लाभ, चयन योग्य प्रकरणों की पहचान, तथा मध्यस्थता केन्द्र की भूमिका पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। अधिवक्ताओं को इस अभियान से जुडऩे के लिए प्रोत्साहित किया गया ताकि न्यायालयों में लंबित मामलों के बोझ को कम किया जा सके। न्यायाधीश ने मध्यस्थता को सफल मामलों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि कैसे पक्षकारों को न्यायालय में वर्षों तक चलने वाली प्रक्रिया से राहत दिलाकर पारस्परिक समझौते के माध्यम से विवाद सुलझाया जा सके।
न्यायाधीश ने बताया कि मध्यस्थता के माध्यम से दुर्घटना, दावा, घरेलू हिंसा, चेक बाउंस, वाणिज्यिक विवाद, उपभोक्ता विवाद, ऋण वसूली, विभाजन मामले, बेदखली मामले, भूमि अधिग्रहण एवं अन्य शिविल मामले का निपराटा कराया जा सकता है। तथा दिनांक 13 सितम्बर 2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत के लिए अधिकतम प्रकरणों की छंटनी एवं सूची तैयार करने पर बल दिया।
न्यायाधीश महोदय ने यह भी कहा कि बैठक का उद्देश्य न केवल मध्यस्थता प्रक्रिया को बढ़ावा देना था बल्कि आगामी नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन की रूपरेखा तैयार करना भी रहा।
बैठक में उपस्थित समस्त अधिवक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए मध्यस्थता एवं नेशनल लोक अदालत की सफलता हेतु पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।