कोण्डागांव

किसानी से हो रहे लाभान्वित, उड़द की खेती से अधिक हो रही आमदनी
21-Jan-2023 9:47 PM
किसानी से हो रहे लाभान्वित, उड़द की खेती से अधिक हो रही आमदनी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
कोण्डागांव, 21 जनवरी।
राज्य धान के अलावा अब दलहन फसलों में भी देश में अपना अलग पहचान बना रहा है। राज्य के किसान भी दलहन फसलों का उन्नत तकनीक से खेती करते उत्पादन कर अपनी आय को दोगुना कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्य दलहन फसलों में चना, तिवरा, मटर, मसूर, मूंग, उड़द, कुल्थी सहित अन्य फसलें शामिल हैं। 

कोण्डागांव जिले में भी दलहन फसलों के अंतर्गत उड़द के उत्पादन को बढ़ावा देने एवं उन्नत किस्म के बीजों के उत्पादन के लिए शासन द्वारा टारगेटिंग साइज फॉलो एरिया टारफा योजनांतर्गत किसानों को उन्नत किस्म के बीज एवं तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। पहले कृषकों के पास उड़द की उन्नत किस्म के बीज एवं तकनीकी मार्गदर्शन के अभाव के कारण लागत अधिक तथा उत्पादन कम होता था। टारफा योजना के तहत किसानों को दलहन फसल प्रदर्शन हेतु उन्नत किस्म के बीज तथा कृषि अधिकारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जा रहा है। जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ कृषकों की आय में वृद्धि हो रही है, इसके साथ ही साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में भी सुधार हुआ है। कोण्डागांव जिले के केशकाल विकासखंड अंतर्गत ग्राम डोहलापारा के प्रगतिशील किसान हीरालाल मरकाम एवं हंतुराम नेताम योजना का लाभ लेते हुए मक्का के साथ-साथ उन्नत तकनीकी से उड़द की खेती कर रहे हैं। 

हीरालाल मरकाम बताते हैं कि पहले वे पारंपरिक तरीके से उड़द की खेती करते थे जिससे केवल 6 क्विंटल ही उड़द का उत्पादन होता था जिसे बाजार में विक्रय कर 45 हजार तक का शुद्ध आय हो जाती था लेकिन विगत वर्ष कृषि विभाग के अधिकारियों से जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंने उन्नत किस्म के बीज एवं तकनीक से उड़द की खेती की, जिससे लागत में कमी के साथ उत्पादन में भी वृद्धि हुई। इस वर्ष उन्होंने अपने डेढ़ एकड़ कृषि भूमि पर 10 क्विंटल उड़द का उत्पादन किया जिससे उन्हें 80 हजार रुपए की शुद्ध आमदनी हुई। 

एक अन्य प्रगतिशील किसान हंतुराम बताते हैं कि वे भी पहले जानकारी के अभाव में छिडक़ाव विधि से फसल की बुवाई करते थे, साथ ही खाद का भी असंतुलित उपयोग होता था जिससे लागत अधिक एवं उत्पादन कम हो रहा रहा था। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन से उत्पादकता में वृद्धि हुई जिससे मेरी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुआ है। पहले मैं अपने डेढ़ एकड़ कृषि भूमि पर मक्का से साथ दोहरी फसल से रूप में पारंपरिक तरीके से उड़द की खेती करता था जिससे 5 क्विंटल के उत्पादन के साथ मुझे 36 से 37 हजार रुपए की आय हो जाती थी। परंतु अब उन्नत बीज एवं उन्नत तकनीक से खेती करने पर साढ़े 9 क्विंटल उत्पादन के साथ 75 से 76 हजार तक का शुद्ध लाभ प्राप्त हो रहा है। इस अतिरिक्त आय से मेरी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है जिससे आने वाले समय में मेरा गृह निर्माण एवं वाहन खरीदने का सपना पूर्ण होता नजर आ रहा है तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा प्रदान करने में मदद हो रही है। दोनों किसान उड़द से होने वाले इस अतिरिक्त आय से अधिक उत्साहित हैं और वे दोनों किसान शासन प्रशासन को इसके लिए धन्यवाद देते हैं।


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