कोण्डागांव

आदिवासी महासभा 4 नवम्बर को करेगी हड़ताल
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 1 नवंबर। विनोद कोडोपी आदिवासी महासभा के अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि आदिवासी महासभा द्वारा एनएमडीसी व शासन प्रशासन द्वारा गलत नीति अपनाकर एनएमडीसी किरंदुल कॉम्पलेक्स का क्षमता विस्तार के लिए लोक सुनवाई की जा रही है। इसका विरोध करते हुए ग्राम कड़मपाल में बैठक रखी गई।
बैठक में कहा गया कि यह शासन-प्रशासन व एनएमडीसी का कृत्य निन्दनीय है। क्योंकि परियोजना के अन्दर मात्र 7 पंचायत एवं 2 नगर पालिका को ही लोक सुनवाई में बुलाया गया है, जबकि यह पहाड़ 7 पंचायत व 2 नगर पालिका परिषद का नहीं है। यदि क्षमता विस्तार के लिए लोक सुनवाई कराना था तो एनएमडीसी परियोजना से प्रभावित दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर तीनों जिले के लाल पानी से पीडि़त 58 गाँवों को लेकर लोक सुनवाई करना चाहिए था और फिर यह पहाड़ 58 गाँवों का ही नहीं तीनों जिले का लोक सुनवाई में प्रथम अधिकार बनता है।
इसके अलावा इसके अलावा बैलाडीला पहाड़ को कोया धर्म, आनाल पेन, जागा जिम्मे परम्परा विधि-विधान के अनुरूप छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, ओडिशा, आन्ध्र प्रदेश के चार राज्यों का भी लोक सुनवाई में उपस्थिति का अधिकार बनता है।
अनुसूचित क्षेत्र में कोया मूलवासी आदिवासी परम्परा व संस्कृति का उल्लंघन करते हुए साथ में क्षेत्रवासियों को भी क्षेत्र अधिकार से वचित करते हुए एनएमडीसी व प्रशासन को गलत नीति का आदिवासी महासभा विरोध करती है और क्षेत्रवासियों को वास्तविकता का जवाब देते हुए क्षेत्रवासियों पहाड़ के चारों ओर विराजमान ग्रामीणों की मांगों का समाधान नहीं करेगा, तब तक यह लोक सुनवाई सफल नहीं हो सकती।
क्षेत्रवासी व स्थानीय समस्त आम नागरिक आदिवासी महासभा के बैनर तले 4 नवम्बर से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में शांति पूर्वक एनएमडीसी किरंदुल कॉम्पलेक्स के चेकपोस्ट में धरना पर बैठ जाएँगे। जब तक की माँगों की निराकरण नहीं किया जाता।
इस बार आदिवासी व स्थानीय लोग अपनी परम्परा व संस्कृति के साथ धरना में रहेंगे। आम जनता को विदित हो कि एनएमडीसी भर्ती में ऑलइंडीया कॉल कर भर्ती करना और किरंदुल-बचेली प्रोजेक्ट अस्पतालों में कर्मचारियों के लिए रायपुर, हैदराबाद में इंटरव्यू लेकर यहाँ पर स्थानीय अस्पतालों में कर्मचारी लाना, यह कैसे सही हो सकता है, आम जनता को सोचने की जरूरत है।
एनएमडीसी व शासन-प्रशासन की मनमानी पर विराम लग जाना चाहिए और एल-1 खलासी का जो लिखित परीक्षा हुई है, इसमें अभी भी सेटिंग चल रही है। आदिवासी महासभा रिश्वतखोरी भर्ती का विरोध करती है और रद्द कर स्थानीयों को प्राथमिकता देने की मांग करती है।