गरियाबंद

साहित्यिक के क्षेत्र में गीतकार टीकमचंद सेन सम्मानित
03-Sep-2025 4:24 PM
साहित्यिक के क्षेत्र में गीतकार टीकमचंद सेन सम्मानित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 3 सितंबर। स्थानीय गायत्री मंदिर परिसर में प्रयाग साहित्य समिति की काव्य गोष्ठी संपन्न हुई जिसमें साहित्य के क्षेत्र में लगातार उपलब्धियां अर्जित करने पर गीतकार टीकमचंद सेन का साहित्यिक सम्मान किया गया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवियत्री डॉ. केंवरा यदु थी। अध्यक्षता हास्य कवि गोकुल सेन ने किया। विशिष्ट अतिथि के रूप में जितेंद्र सुकुमार साहिर प्रमुख रूप से उपस्थित थे। टीकमचंद सेन के द्वारा लिखे हुए गीत छत्तीसगढ़ी फिल्मों में भी गाए जा रहे हैं। उन्होंने देश भक्ति पर अनेक कविताएं लिखी है जिनकी प्रस्तुति मंचों में बाखूबी देते हैं। साहित्यिक, सामाजिक व सांस्कृतिक क्षेत्रों में बढ़-चढक़र कार्य कर रहे हैं। इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. केंवरा यदु ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य और संस्कृति का क्षेत्र अत्यंत समृद्ध है।

साहित्यकार जब बूढ़ा होता है तब उनकी रचनाएं जवान होती है। लिखना और उसे मंच में प्रस्तुत करना दो अलग-अलग बातें हैं। टीकमचंद सेन अच्छी रचनाएं लिखते हैं। उनके शब्दों का चयन पाठक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वैसे भी मंचों में प्रस्तुति देना अपने आप में गौरव का क्षण होता है। उनकी देशभक्ति रचनाएं श्रोताओं को बांधकर रख देती है। अध्यक्षता कर रहे हैं गोकुल सेन ने कहा कि जो देखते हैं कवि उसी को लिपिबद्ध करते हैं। राजिम क्षेत्र साहित्य के क्षेत्र में अत्यंत उर्वरा है। पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ी में दान लीला लिखकर इस क्षेत्र का मान बढ़ाया। आज शहर में बड़ी संख्या में कवि एवं साहित्यकार है जिनकी रचनाएं दूर देश में भी पढ़ी जा रही है। यह क्षेत्र की बहुत बड़ी उपलब्धि है।

जीवन के हर रामायण में राघव को वनवास लिखा है

 विशिष्ट अतिथि युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने गजल की पंक्ति सुनाई, प्रस्तुत है कुछ अंश-कुछ ऐसा एहसास लिखा है, पतझड़ को मधुमास लिखा है। रिश्तों की नींव लिखी जब भी, हरदम ही विश्वास लिखा है। जीवन के हर रामायण में राघव को वनवास लिखा है। दुनिया के मेले में साहिर, तुमको सबसे खास लिखा है। टीकमचंद सेन दर्शन की कविता प्रस्तुत की। प्रस्तुत है पंक्ति-चार दिन की जिंदगी, चार दिन की यारी है, नहीं रहना यहां किसी को, जाना पारी पारी है। कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल ने नई कविता प्रस्तुत की। पंक्ति देखिए-राजनीति के प्रपंच में फंसे हुए चमचे, आवाजाही में व्यस्त, प्रचार में मस्त, गुणगान में सक्त, गरीबों की मसीहा बन, दिखावा करने में माहिर, जैसे भी हो, जहां से हो, पैसे घटकने वाले साहूकार, सभी जगह हो रही है, तेरी जय जयकार। आभार प्रकट संतोष देवांगन ने किया।


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