गरियाबंद

गरियाबंद, 12 अगस्त। फास्ट ट्रेक विशेष न्यायालय (पॉक्सो एवं बलात्कार मामले) के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर ने नाबालिग बालिका की शादी का झांसा दे भगा ले जाकर उसके साथ रेप करने वाले आरोपी को बीस वर्ष का सश्रम कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
शासन की ओर से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक एच.एन. त्रिवेदी ने बताया कि पीडि़ता के पिता ने थाना में रिपोर्ट दर्ज कराया था कि उसकी नाबालिग पुत्री 9- 10 जनवरी की रात में बिना बताये कहीं चली गई तथा आस-पास पता करने के बाद भी नहीं मिलने पर किसी अज्ञात व्यक्ति के द्वारा उसकी नाबालिग पुत्री/पीडि़ता को बहला फुसलाकर भगा ले जाने की शिकायत पर थाना अमलीपदर द्वारा अपराध पंजीबद्ध कर पता तलाशी शुरु की गई। जिसमें नाबालिग पीडि़ता को ईंटा भट्टी खम्मन, तेलंगाना में ओडिशा निवासी आरोपी नेपाल बाघ के कब्जे से बरामद कर आरोपी को गिरफ्तार किया गया है।
आरोपी के विरूद्ध धारा 363, 366, 376(2) (द) भा.दं.वि. एवं धारा 04. 06 पॉक्सो एक्ट और धारा 3(2) (ट) अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत् न्यायालय में अभियोग पत्र प्रस्तुत किया गया। अभियोजन की ओर से उक्त अपराध को प्रमाणित करने हेतु अपने पक्ष समर्थन में कुल 20 साक्षियों का कथन कराया गया।
विशेष न्यायालय के अपर सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनीकर द्वारा प्रकरण के सम्पूर्ण तथ्य, परिस्थितियों एवं उपलब्ध साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए आरोपी द्वारा नाबालिग पीडिता को शादी का झांसा देकर उसके वैध संरक्षक की अनुमति के बिना व्यपहरण कर दुष्कर्म किये जाने के कृत्य को संपूर्ण सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करने वाला गंभीर प्रकृक्ति का अपत्तथ मानते हुए दोषसिद्ध पाये जाने पर आरोपी नेपाल बाघ को अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धारा 3(2) (ट) के तहत् आजीवन कारावास एवं एक हजार रूपये का अर्थदण्ड, पॉक्सो एक्ट की धारा-06 के तहत् बीस वर्ष का सश्रम कारावास एवं पाँच हजार रूपयें का अर्थदंड तथा भा.दं.वि. की धारा 363 के तहत् दो वर्ष का सश्रम कारावास एवं एक हजार रुपये का अर्थदण्ड, धारा 366 के तहत् पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं दो हजार रुपए के अर्थदण्ड दंडित किया गया है।
न्यायाधीश द्वारा पारित निर्णय में नाबालिग पीडि़ता के साथ हुई उक्त घटना से होने वाले शारीरिक व मानसिक पीड़ा तथा उसके जीवन व मनोदशा पर पडऩे वाले मनोवैज्ञानिक प्रभाव को ध्यान में रखते हुए आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों पर विचार करते हुए नाबालिग पीडि़ता को प्रतिकर स्वरूप चार लाख रूपये दिलाये जाने का जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, रायपुर को नियमानुसार कार्यवाही करते हुए प्रतिकर प्रदाय करने के लिए निर्देशित किया गया है।