गरियाबंद

राष्ट्र जागरण के लिए 24 कुण्डीय महायज्ञ के साथ प्रज्ञा पुराण
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
गरियाबंद, 3 जनवरी। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन और कोचवाय सहित आसपास के ग्रामीणों के सहयोग के साथ गायत्री परिवार गरियाबंद के चारों ईकाई के प्रायास से राष्ट्र जागरण के लिए 24 कुण्डीय महायज्ञ के साथ प्रज्ञा पुराण जिला मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर कोचवाय में हो रहा है।
शांतिकुंज से पहुंचे ऋ षि पुत्र मुख्य वक्ता योगेश पटेल ने बताया कि पूजा का भी अपना महत्व है, उसका भी लाभ होता है, पर मूल तथ्य ‘पात्रता’ है। अनधिकारी की या कुपात्र की प्रार्थना सफल नहीं होती। ‘देवता या भगवान को प्रसन्न करने का, उनका अनुग्रह प्राप्त करने का सुनिश्चित मार्ग अपनी पात्रता बढ़ाना ही हो सकता है।’
इस सृष्टि में कोई वस्तु मुफ्त नहीं मिलती। हर वस्तु का मूल्य निर्धारित है। उसे चुकाने पर ही कुछ प्राप्त कर सकना संभव हो सकता है। ‘सुख और समृद्धि की प्राप्ति पुण्यफल की मात्रा पर निर्भर रहती है। दु:ख हमारी त्रुटियों और विकृतियों के फलस्वरूप प्राप्त होते हैं। सुख प्राप्त करने और दु:ख निवारण के लिए पुण्य एवं तप की अभीष्ट मात्रा चाहिए।’ अन्यथा वाणी से निकले हुए केवल शब्द भले वह आशीर्वाद की भाषा में कहे गए हों, किसी के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकते।
प्रज्ञा पुराण एवं महायज्ञ के तीसरे दिवस शान्ति कुंज से पधारे ऋषिपुत्रों द्वारा यज्ञ क्यों करना चाहिए, इस पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि हम सबको प्रतिदिन नियमित यज्ञ करना चाहिए , हमारे पास हवन सामग्री ना हो तो तुलसी के पौधा में जल चढ़ा दो यज्ञ का फल मिलेगा और जल भी न हो तो हवा में हाथ उठाकर भाव से यज्ञ भगवान को याद कर लीजिए बस यज्ञ हो गया।
यज्ञ हमारी संस्कृति का हिस्सा है यज्ञ कभी नहीं छोडऩा चाहिए । यज्ञ का धूम्र ओजोन परत को छिद्र होने से बचाता है, यज्ञ से वर्षा होती है और पेड़ पौधा को प्राण मिलता है । इसके अभाव में हम आज कमजोर और दुर्बल हो रहे हैं।
आज गोबर खाद का उपयोग कम कर रहे हैं और हम रासायनिक खाद का कीटनाशक का उपयोग कर रहे हैं इससे आज पसीना बहा कर कमाते हैं फिर भी हम डायबिटीज बीपी आदि अन्य बीमारियों का प्रकोप हम पर हावी हो रहा है इसलिए परम पूज्य गुरुदेव ने यज्ञ को प्राथमिकता देते हुए यज्ञ को एक अभियान की तरह छेड़ा जिससे मानव में देवत्व का उदय हो रहा है और वातावरण की शुद्ध होता है यज्ञ जीवन जीने की कला सिखाती है ।
हमारा जीवन शानदार बने हम देवता के समान जी सके यज्ञ में विभिन्न संस्कार के महत्व को बताते हुए पुंसवन संस्कार 46, मुंडन संस्कार 33, विद्यारंभ संस्कार 11, संस्कार करा सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की गई। भोजन अवकाश के पास साथ नारी सशक्तिकरण का कार्यकम किया गया एवं युवा प्रकोष्ठ द्वारा युवा शिविर कर आए हुए युवाओं को बदलते समय का पुकार पर चर्चा के पश्चात दीपयज्ञ किया गया।