धमतरी

खेती में एआई: किसानों-अफसरों का प्रशिक्षण शुरू
17-May-2025 3:03 PM
खेती में एआई:  किसानों-अफसरों का प्रशिक्षण शुरू

कलेक्टर ने भी की शिरकत, किसानों का हौसला बढ़ाया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

धमतरी, 17 मई। आर्टिफिशियल इंटिलीजेंस का खेती-किसानी में उपयोग करने के तरीके सिखाने के लिए जिले में चयनित किसानों और अधिकारियों का प्रशिक्षण शुरू हो गया है। कुरूद की स्वयं सेवी संस्था के प्रशिक्षण केन्द्र में लगभग 20 किसानों और इतने ही अधिकारियों को खेती के लिए एआई तकनीकों के उपयोग के तरीके सिखाए जा रहे हैं। इन सभी प्रशिक्षित किसानों और अधिकारियों को जिले में मास्टर ट्रेनर का दर्जा दिया जाएगा और इनके माध्यम से ही अन्य किसानों को भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर खेती-किसानी में जोखिम कम करने और आय बढ़ाने के गुर सिखाए जाएंगे।

कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने इस प्रशिक्षण में सीईओ रोमा श्रीवास्तव के साथ शिरकत की। उन्होंने प्रशिक्षण में शामिल किसानों से इसकी उपयोगिता के बारे में भी बात की और उनका हौसला बढ़ाया। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को ड्रोन के माध्यम से फसलों में उर्वरक और कीटनाशक छिडक़ाव का डेमोस्ट्रेशन भी दिखाया गया। किसानों ने इस प्रशिक्षण को उपयोगी और खेती की लागत कम करने में कारगर बताया। पहले से ही मौसम की जानकारी, जमीन में उर्वरा शक्ति और पोषक तत्वों की जानकारी मिलने से खेती में होने वाली आसानी और फायदे भी बताए। किसानों ने इस प्रशिक्षण को सिंचाई, निंदाई-गुड़ाई आदि कामों के लिए भी पहले सही सूचित करने में फायदेमंद बताया। प्रशिक्षण के दौरान किसानो-अधिकारियों को खेत में स्वाईल सेंसर और क्लाईमेट सेंसर लगाकर उनके उपयोग का व्यवहारिक ज्ञान भी दिया गया। इस परियोजना के लिए विकासखण्ड कुरूद के बानगर, चोरभ_ी, भुसरेंगा, गाड़ाडीह, राखी, चरमुडिय़ा, भखारा, मंदरौद गांवों, विकासखण्ड धमतरी के  संबलपुर, पोटियाडीह, लोहरसी गांवों का चयन किया गया है। नगरी विकासखण्ड के सांकरा, कुकरेल और मगरलोड विकासखण्ड का कुण्डेल गांव भी इसमें शमिल है।

 

पायलट प्रोजेक्ट बतौर शुरू

जिले में खेती-किसानी में आर्टिफिशियल इंटिलीजेंस के उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में एग्री पायलेट एआई शुरू किया गया है। इसके तहत जिला प्रशासन ने महाराष्ट्र की विशेषज्ञ संस्था से एक वर्ष का अनुबंध किया है। परियोजना के संचालन के लिए कलेक्टर की अध्यक्षता में संचालन समिति भी बनाई गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य खेती-किसानी में होने वाले जोखिम को कम कर उत्पादन में वृद्धि करना और किसानों की आय बढ़ाना है।

इस परियोजना में एक फसल सीजन के लिए चयनित गांवों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस संचालित सटिक कृषि तकनीक लागू की जाएगी। एग्री पायलेट उपकरणों का उपयोग करके खेतों की मिट्टी की सेहत, सिंचाई एवं जल प्रबंधन आदि का मूल्यांकन किया जाएगा। मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम की भविष्यवाणी से फसल प्रबंधन, कीट नाशकों के उपयोग आदि में किसानों की सहयता की जाएगी। फसलों की निगरानी के लिए एक मॉडल स्थापित होगा। इस प्रोजेक्ट के तहत किसानों को महाराष्ट्र के बारावती कृषि विज्ञान केन्द्र का भ्रमण भी कराया जाएगा।

इस केन्द्र में किसानों को कृषि विशेषज्ञों के साथ बातचीत करने, उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के प्रयोगों का अनुभव करने का भी मौका मिलेगा। इस पायलट प्रोजेक्ट से एग्रीकल्चर टेक्नॉलॉजी में कैरियर बनाने और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप की रूचि रखने वाले युवा को व्यावसायिक रूप से कौशल विकास के भी मौके मिलेंगे।


अन्य पोस्ट