धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 24 अप्रैल। नगर की आराध्य देवी मां बिलाई माता मंदिर में स्थित करीब 200 साल पुरानी बावली को फिर से खोला जाएगा। मंदिर के नवीनीकरण के दौरान 36 साल पहले इसे बंद कर दिया गया था। अब इसे फिर से जीवित करने का काम शुरू हो गया है। खास बात यह कि यह बावली करीब 30 फीट गहरी है।
श्री विंध्यवासिनी मंदिर ट्रस्ट समिति के मुताबिक 23 अप्रैल से बावली की सफाई शुरू की गई। पहले दिन खुदाई में एक ऑटो और एक ट्रैक्टर मलबा निकाला गया। यह काम लगातार जारी रहेगा। बावली की गहराई करीब 30 फीट है। पुराने समय में यह नदी मार्ग पर थी, इसलिए इसकी सतह रेतिली है। जल संरक्षण के उद्देश्य से इसे बनाया गया था। सनातन धर्म में बावली को तीर्थ का दर्जा प्राप्त है। पुराने मंदिरों में पूजा सामग्री के विसर्जन के लिए बावली बनाई जाती थी। उत्तर-पूर्व दिशा में स्थित इस बावली का विशेष महत्व है। लोग इसके दर्शन करने आते हैं। इस मौके पर समाजसेवी सूर्याराव पवार, पार्षद सतीश पवार सहित अन्य लोग मौजूद रहे। मंदिर और बावली का निर्माण 200 साल पहले चन्द्रभागा बाई पवार ने करवाया था।
मंदिर को सुंदर बनाने में खर्च हुए डेढ़ करोड़
इन दिनों मां विंध्यवासिनी मंदिर का सौंदर्यीकरण चल रहा है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। देवी मां के लिए स्वर्ण मुकुट, कलश और स्वर्ण जडि़त छत्र बनाया गया है। मकराना मार्बल से गर्भगृह, शिखर और परिक्रमा में नवदुर्गा, जगमोहन और गलीचा तैयार किया गया है। ऊपर भगवान विष्णु का दशावतार बनाया गया है। उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद से 5 झुमर मंगवाए गए हैं। मार्बल से दो सिंह बनाए गए हैं। मंदिर में पेंटिंग का काम भी कराया गया है।