धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 24 अप्रैल। कृषि उत्पादन आयुक्त शहला निगार ने धमतरी कलेक्टोरेट सभाकक्ष में संभाग स्तरीय बैठक में खरीफ की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पिछले 10 वर्षों से लगाई जा रही फसलों की जगह अब नई किस्मों को बढ़ावा दिया जाए। बीज, खाद, दवा के नमूने समय पर लेकर जांच के लिए भेजे जाएं। अमानक सामग्री मिलने पर सिर्फ लाइसेंस रद्द या निलंबित न करें, बल्कि वस्तु अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई करें।
उन्होंने कहा कि समितियों और भंडारगृहों में खरीफ के लिए बीज, खाद, दवाएं रखी जा रही है। इनका वितरण किसानों को होने से पहले जांच रिपोर्ट मिल जानी चाहिए। उन्होंने जिलेवार खरीफ कार्यक्रम की जानकारी ली। कहा कि एक ही फसल बार-बार बोने से कीट और रोग बढ़ते हैं। उत्पादन घटता है। जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इससे बचने के लिए किसानों को नई किस्मों की खेती के लिए प्रेरित करें। कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा विकसित नई किस्मों का प्रचार करें। पोस्टर और पंपलेट बांटे। बीज की पर्याप्त उपलब्धता और समय पर उठाव करें। किसानों को रासायनिक उर्वरकों के सीमित उपयोग के लिए जागरूक करें। बैठक में रायपुर संभाग आयुक्त महादेव कावरे, रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार, महासमुंद और गरियाबंद के कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, उद्यानिकी विभाग के अधिकारी और कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्च संचालक मौजूद रहे।
9.16 लाख हेक्टेयर में खेती की योजना
रायपुर संभाग में खरीफ 2025 के लिए 9 लाख 16 हजार 417 हेक्टेयर में खेती की योजना बनी है। इसमें 8 लाख 48 हजार 942 हेक्टेयर में धान, 18 हजार 810 हेक्टेयर में मक्का, 2 हजार 935 हेक्टेयर में लघु धान्य, 25 हजार 617 हेक्टेयर में दलहन, 7 हजार 893 हेक्टेयर में तिलहन और 12 हजार 220 हेक्टेयर में अन्य फसलें लगेंगी। इस बार धान की जगह दलहन-तिलहन को बढ़ावा मिलेगा। 5 हजार 960 हेक्टेयर में दलहनी-तिलहनी फसलें बोई जाएंगी। मक्का और मिलेट्स के लिए 21 हजार 745 हेक्टेयर का लक्ष्य है।
पहले आओ-पहले पाओ पर मिलेगी सरकारी सहायता
बैठक में मछलीपालन योजनाओं की भी समीक्षा हुई। उन्होंने कहा कि केज प्रकरण स्वीकृत करते समय नियमों का पालन हो। जरूरतमंद मछुआ परिवारों और समितियों को प्राथमिकता मिले। सभी जिलों में नई मछुआ समितियां बनें। दुग्ध उत्पादन की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई। उन्होंने मिल्क रूट बनाने, दुग्ध समितियां गठित करने और प्रशिक्षण देने के निर्देश दिए। सरकारी सहायता पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दी जाएगी।