धमतरी

ड्रेनेज साफ करने निगम ने खरीदी 68 लाख की चेन माउंटेड, हर महीने बचेंगे 2 लाख
19-Apr-2025 2:27 PM
ड्रेनेज साफ करने निगम ने खरीदी 68 लाख की चेन माउंटेड, हर महीने बचेंगे 2 लाख

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 19 अप्रैल।
शहर में ड्रेनेज की बिगड़ती हालत को देखते हुए नगर निगम ने सफाई व्यवस्था मजबूत करने चैन माउंटेड मशीन खरीदी है। इसकी लागत 68 लाख रुपए है। 18 अप्रैल को यह मशीन निगम कार्यालय पहुंची। अब तक बारिश के मौसम में सफाई के लिए हर महीने 2 लाख रुपए में मशीन किराए पर ली जाती थी। दो महीने में ही 4 लाख रुपए वाहन किराए पर खर्च हो जाते थे।

धमतरी के पीडी नाला, बाकरा नाला, दीक्षित नाला, गोकुलपुर नाला और नेशनल हाइवे नाला की गहराई से सफाई सालों से नहीं हुई है। इसी कारण बारिश में जलभराव की समस्या बनी रहती है। अब निगम की अपनी मशीन से इन नालों की नियमित सफाई हो सकेगी। इससे हर साल किराए पर मशीन लेने का खर्च भी बचेगा। मशीन के पहुंचने पर महापौर रामू रोहरा, सफाई सभापति नीलेश लुनिया और स्वच्छता मिशन प्रभारी शशांक मिश्रा ने ऑपरेटर से मिलकर मशीन का निरीक्षण किया। नीलेश लुनिया ने बताया कि अब सफाई विभाग का काम तेज होगा। पहले बड़े नालों की सफाई नियमित नहीं हो पाती थी। अब चैन माउंटेन मशीन से यह काम आसान होगा। शाम को महापौर रामू रोहरा ने पार्षदों और निगम अधिकारियों-कर्मचारियों की मौजूदगी में मशीन का शुभारंभ किया।

इन जगहों पर भरता है पानी
हर साल बारिश में आमापारा, पुराना बस स्टैंड, विमल टॉकीज रोड, भगवती मैरिज ग्राउंड, बनियापारा से सडक़ पार करना मुश्किल होता है। आधे घंटे की बारिश से घुटने तक पानी भर जाता है। व्यापार भी प्रभावित होता है। बार-बार सडक़ें जलमग्न होने से आसपास के घरों की नींव कमजोर हो रही है। सडक़ें जल्द उखड़ जाती हैं। यहीं नहीं, पानी घंटेभर बाद बाहर निकलता है। नालियों का मलबा सडक़ों पर फैलता है। पाइपलाइन में लीकेज की समस्या बढ़ती है।

 

 

कई इलाकों में नालियां मकान से नीचे चली गईं
निगम के अफसरों के मुताबिक जब ड्रेनेज सिस्टम बना, तब शहर की आबादी 10 हजार थी। आज आबादी 1.30 लाख करीब है, वहीं मकान भी बने। बढ़ती आबादी और विस्तार की जरूरतों के हिसाब से नालियों का विस्तार किया पर तकनीकी पहलुओं का ध्यान नहीं रखा गया। बसाहट में विस्तार और सडक़ें बनने से कई क्षेत्रों नालियां दब गई है। निगम क्षेत्र के छोटे-बड़े नाली और बड़े नालों की सफाई के लिए पर्याप्त स्टाफ और संसाधन हैं। सफाई पर हर महीने करीब 25 लाख खर्च हो रहा।

ये है बारिश में पानी रुकने के कारण
शहर में बसाहट बढऩे, टेढ़ी-मेढ़ी नालियां, अतिक्रमण और नालियों में ढाल नहीं है। अंबेडकर चौक नाला से होकर शहर का पानी बाहर निकलता है। इस नाले में भी तकनीकी कमियां है। छोटी-बड़ी नालियों के उतर अतिक्रमण हो गया है, जिस कारण बारिश का पानी आगे नहीं बढ़ता। सोरिद पुल में ही अतिक्रमण हो गया है।


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