धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 25 फरवरी। जिले में 50 हजार हेक्टेयर में दलहन-तिलहन फसल लगाने का लक्ष्य रखा था, जिसके मुकाबले 64 हजार हेक्टेयर में फसल लगी है। खासकर चने की फसल 15500 हेक्टेयर में लगी है। अब इसकी समर्थन मूल्य पर खरीदी 4 दिन बाद यानि 1 मार्च से होगी। किसान चनाबूट बेचकर अधिक मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों की खेती की लागत भी कम हुई है, साथ ही भारी मात्रा में पानी की भी बचत हुई है।
जिले के चना उत्पादक किसानों ने केवल चनाबूट बेचकर ही एक एकड़ फसल से 36-38 हजार तक का शुद्ध मुनाफा कमाया है। चनाबूट को किसान हाईवे के किनारे दुकान लगाकर, स्थानीय बाजार और मंडी में थोक और चिल्लर रूप में बेचकर अच्छा फायदा ले रहे हैं। मगरलोड ब्लाक के कुंडेल गांव के किसान रामनाथ ने बताया कि 2 माह पहले चने की फसल लगाई थी। लगभग 84 हजार रुपए का चना बूट बेचा। खेती की लागत आदि खर्चे निकाल कर एक एकड़ से 36-38 हजार रुपए तक मुनाफा हुआ। धमतरी ब्लाक के खरतुली निवासी चैतुराम ने 3 एकड़ में चने की फसल लगाई। उन्होंने बताया कि चना बूट के रूप में 38 रुपए प्रति किलो की दर से बेचकर 1 लाख 16 हजार से अधिक का लाभ कमाया। रामनाथ ने कहा कि उनके पास 2 एकड़ खेत है। डेढ़ एकड़ में रबी में चने की खेती की। 70-80 दिन में ही चने में फल आ गया। हाइवे के किनारे दुकान के साथ मंडी और लोकल बाजार में 35-40 रुपए किलो के भाव से बेच दिया। 2 हजार किलो चना बेचा। 84 हजार रुपए मिला। लागत कम करने से करीब 54 हजार रुपए मुनाफा हुआ। अब तीसरी फसल के लिए उड़द-मूंग लगाने की योजना है।
15500 हेक्टेयर में लगी चने की फसल
कृषि वैज्ञानिक अनुसार चना बूट की मिठास बसंत के मौसम में लोगों को बहुत भाती है, साथ ही इसमें मिलने वाले 9त्न प्रोटीन, 10त्न फाइबर और प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम तथा फास्फोरस इसे पौष्टिक भी बनाते हैं। चना की फसल धान की तुलना में कम अवधि में ही पक जाती है, जिससे खेत जल्दी खाली हो जाता है और तीसरी फसल लगाने के लिए किसानों को तैयारी का पर्याप्त समय भी मिल जाता है। चने की फसल से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने वाली मिथेन, कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है।