धमतरी

चरमुडिय़ा के वार्षिक सम्मेलन में बोले आदिवासी नेता
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 24 फरवरी। आदिवासी ध्रुव गोड़ समाज परिक्षेत्र कुरूद का वार्षिक सम्मेलन ग्राम चरमुडिय़ा में हुआ। जिसमें समाज की महिलाएं गोंडी नृत्य के साथ गांव भ्रमण कर कार्यक्रम स्थल पहुंचीं। तब नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में विजयी समाज के जनप्रतिनिधियों का सम्मान किया गया।
मंच में अतिथि स्वागत के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। प्रथम सत्र के अतिथि बसंत ध्रुव, सुखीतराम छेदैया ने बताया कि आर्यों के आगमन से पहले भारत गोंडवाना लैंड के नाम से जाना जाता था। जहां जाति ,धर्म का कोई स्थान नहीं था। हमारे लोग प्रकृति को ही जीवन दायनी ईश्वर स्वरूप मानकर प्रकृति का संरक्षण करते थे। गोंडवाना लैंड में जल जंगल जमीन के साथ एककार हो प्रकृति जीवन जीते थे। किंतु वैदिक काल से ही मानव में गैर बराबरी को स्थापित करने के लिए पहले वर्ण व्यवस्था, फिर जाति व्यवस्था की अमानवीय नींव रखी गई। जिसके परिणाम स्वरूप आज लोग भिन्न-भिन्न धर्म संप्रदायों, जाति, उप जातियों में बंटे हुए हैं। यही देश के विकास में सबसे बड़ा बाधक है।
विशिष्ट अतिथि कुरूद परिक्षेत्र संरक्षक हरिश्चंद्र मांडवी ने कहा कि गोड़ हिंदू नहीं है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अनुसार उनकी अलग परंपरा, रीति,रिवाज, रूढी ,परंपरा अलग पहचान है। गोड़ समाज कुरूद तहसील अध्यक्ष ललित ठाकुर ने कहा बच्चों को उच्च शिक्षा ग्रहण कर नौकरी करना ही उद्देश्य नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें स्वरोजगार मूलक कार्यों में ध्यान देना चाहिए।
इस मौके पर नवनिर्वाचित समाज के जनप्रतिनिधि पोखराज नेताम, राधेलाल मांडवी, संजू कोहकटा, योगेंद्र मरकाम, संतोषी ध्रुव, केशरी, राजकुमारी, संतोषी छेदैया का पीला गमछा पहना कर प्रशस्ति सम्मान किया गया।
इस अवसर पर बोधन ध्रुव, लकेश्वर नेताम, तेजराम छेदैया, राजकुमारी ध्रुव, किरण, बोधन, बुधारू छेदैया, जन्मजेय, भरोसा पडोटी, खेलन ध्रुव, बालमुकुंद नेताम, शिवप्रसाद, रामायण ध्रुव, घनश्याम कुंजाम, दीपक सोरी, शिवदयाल नेताम, कमल सोरी, अक्तूराम ध्रुव, सनी ओटी, गोपी, रोशन ध्रुव, बिसहत मांडवी, भुवन, मनोज, श्यामलाल नेताम, परदेसी मरकाम आदि उपस्थित थे।