धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 24 फरवरी। किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने पूर्ववर्ती भूपेश सरकार ने छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी शुरू की थी। लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता सम्हालते ही इस योजना पर रोक लगा दी है। जिससे पशुपालकों होने वाली अतिरिक्त आय भी बंद हो गई है। साथ ही वर्मी कम्पोस्ट और अन्य जैविक खाद के उत्पादन में कमी आ सकती है।
गौरतलब है कि भूपेश राज में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालक, किसानों से गोबर खरीदा जाता था। तमाम आलोचना के बावजूद इस योजना के सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हुए। गोबर बेचकर हर महीने लाभान्वित हो रहे पशुपालकों को अब आर्थिक नुकसान हो रहा है। गोबर खरीदी बंद होने से पशुपालकों और किसानों को नुकसान होने के साथ साथ पर्यावरण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
गंगाराम, खेदन, भानबाई, शेखर, कपिल राम अम्बेद साहू आदि ग्रामीणों का कहना है कि भाजपा सरकार ने यह योजना को बंद कर दी है, तो इसका कोई वैकल्पिक व्यवस्था बनाये। ताकि पशु पालकों को होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके। किसानों का कहना है कि गोबर विक्रय से प्राप्त राशि से पशुओं के लिए हम अच्छा चारा पानी का इंतजाम करते थे, जिससे दूध उत्पादकों में बढौतरी हुई। गोबर खरीदी बंद होने से जैविक खाद उत्पादन पर प्रभाव पड़ेगा। किसान फिर महंगी रासायनिक खादों पर आश्रित रहेंगे, जिससे कृषि लागत बढ़ेगी। योजना बंद होने का प्रभाव पर्यावरणीय और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर होगा। गोबर का सही उपयोग न होने से लोग इसे जहाँ तंहा फेंक फेंक रहे है, जिससे वातावरण में गंदगी और बदबू बढ़ रही है।
हालांकि, कुछ किसान गोबर का पारम्परिक उपयोग करते हुए उपले, कंडे और छेना बना रसोई घर में ईंधन की तरह उपयोग कर रहे हैं। लेकिन यह भी तो मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के हित में नहीं है। गोबर से जुड़े उद्यम जैविक खाद, मूर्तियां, पेंट और अन्य उत्पाद बनाने वाले कारीगरों को नुकसान होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर कम हुए हैं।
ग्रामीणों ने गोबर खरीदी बंद करने के निर्णय की समीक्षा दोबारा करने सरकार से मांग की है।