धमतरी

धान फसल में माहू का सहित अन्य कीटों का प्रकोप बढ़ा, किसानों की बढ़ी परेशानी
09-Oct-2022 4:02 PM
धान फसल में माहू का सहित अन्य कीटों का प्रकोप बढ़ा, किसानों की बढ़ी परेशानी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 9 अक्टूबर। 
जिले में लगातार हो रही बारिश और खराब मौसम से धान की फसलों में माहू समेत अन्य कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। दवाई का छिडक़ाव करने के बाद भी राहत नहीं मिल रही है। ऐसे में किसानों की चिंता बढ़ गई है।  
पिछले साल की तुलना में इस साल मानसून जिले में मेहरबान रहा है। तेज बारिश से खेत-खलिहान में धान की फसल लहलहाने लगी है, लेकिन वर्तमान में मौसम खराब होने के चलते धान की फसलों में माहू समेत अन्य टीकों का प्रकोप बढ़ गया है। किसान गोपालन पटेल, सुकालूराम साहू, गोविंद पटेल ने बताया कि बादल छाने से कीटनाशक दवा का असर कम हो गया है। दवा छिडक़ाव करने के बाद भी कटवा, माहू का प्रकोप कम नहीं हो रहा है। ऐसे में उनकी चिंता बढ़ गई है। यदि एक सप्ताह के भीतर मौसम साफ नहीं होता है, तो धान का उत्पादन प्रभावित हो सकता है।

प्रति एकड़ 2 हजार तक खर्च
तनाछेक समेत अन्य कीटों के नियंत्रण के लिए किसानों को प्रति एकड़ 2 हजार रुपए खर्च करना पड़ रहा है। पूर्व में एक से अधिकतम 2 बार दवाई छिडक़ाव करने की जरूरत पड़ रही थी, लेकिन इस साल किसान 4 बार दवाई का छिडक़ाव कर चुके हैं। पौधों के तने में तनाछेदक की इल्लियां स्पष्ट दिखाई दे रही है। ऐसे में गर्भावस्था में आ चुके धान के पौधे सूखने लगे हैं। इससे किसानों की मेहनत पर पानी फिरने लगा है।

धान के पत्ते भी सूख रहे
किसान अनुपम नेताम, दिनेश साहू ने बताया कि इस साल धान की फसल में अलग तरह की बीमारी देखने को मिल रही है। दवा का छिडक़ाव करने के बाद भी धान के पौधा का पत्ता नीचे लेकर ऊपर तक पूरी तरह से सूख रहा है।

वातावरण में नमी, कीटनाशक दवाईयों का असर नहीं
कृषि के जानकारों का कहना है कि खराब मौसम के चलते इस साल धान की फसल में पत्ती मोड़, तनाछेदक और गलन की शिकायत ज्यादा है। वातावरण में नमी होने के चलते ही कीटनाशक दवाईयां भी अपना असर नहीं दिखा पा रही है। आसमान साफ होने असर होगी।
 


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