धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 23 अगस्त। नेशनल ऑटोमेटिक फिंगर प्रिंट आइडेंटिटी सिस्टम (नाफिस) अब हर अपराधी की कुंडली तैयार करेगा। इसके लिए जिले में काम शुरू हो गया है। इस संबंध में पुलिस मुख्यालय नया रायपुर के फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट ने जरूरी व अहम जानकारी दी। कार्यशाला में एसपी, एएसपी सहित जिले के सभी थानों एवं चौकी से आए जांच अधिकारी, सभी थाने के सीसीटीएनएस के ऑपरेटर शामिल हुए।
फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट राकेश नरवरे ने आयोजित कार्यशाला में फिंगर प्रिंट से जुड़ी जरूरी जानकारी दी। उन्होंने नाफिस (नेशनल आटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिटी फिकेशन सिस्टम) के संबंध में बताया। इससे अपराधी के बारे में आनलाईन फिंगर प्रिंट मिलान कर तुरंत आरोपी से जुड़े सभी जरूरी जानकारी मिलेगी। पहले आरोपी का फिंगर प्रिंट मेनुअल लिया जाता था। मिलान भी मैनुअल होता था, लेकिन अब अब आनलाईन फिंगर प्रिंट लिया जाएगा। मिलान भी ऑनलाइन होगा। फिंगरप्रिंट कैसे लेनी है, इसकी जानकारी कार्यशाला में प्रशिक्षण मिली।
एसपी प्रशांत ठाकुर ने बताया कि जिले के सभी थानों में ऑनलाइन फिंगरप्रिंट लिया जाएगा। अभी तक सीसीटीएनएस के माध्यम से ऑनलाइन एफआईआर ही लिया जा रहा था, लेकिन अब ऑनलाइन फिंगरप्रिंट भी लिया जाएगा। पुलिस मुख्यालय के द्वारा दिए गए निर्देशों का भी पालन किया जाएगा।
कार्यशाला करीब 3 घंटे तक चली। जिसमें एसपी प्रशांत ठाकुर, एएसपी मेघा टेंभुरकर के अलावा डीसीबी से एएसआई राजश्री तुर्रे, प्रधान आरक्षक कामता मरकाम, डिगेश शर्मा, सीसीटीएनएस से विपिन पांजिया, विजय शर्मा सहित जिले के सभी थाने से नामांकित विवेचना अधिकारी, सीसीटीएनएस आपरेटर उपस्थित थे।
नाफिस में होगी कुंडली दर्ज
पुलिस गिरफ्त में आने वाला अपराधी जेल जाने से पहले ‘नाफिस’ में उनकी कुंडली दर्ज होगी। जिसमें अपराधी का नाम, पता, कहां-कहां अपराध किए, किस-किस जेल में रह चुका के साथ संपूर्ण आपराधिक इतिहास के अलावा अंगुलियों की छाप (फिंगरप्रिंट), पैरों-तलवों की छाप (फुटप्रिंट), आंखों के आइरिस व रेटिना का बायोमेट्रिक डाटा दर्ज होगा। भविष्य में खून, बाल व लार आदि जैविक नमूने लेने की योजना है।
क्या है नाफिस
यह एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो) का प्रोजेक्ट है। इसके जरिए 18 राज्यों की पुलिस टीम को एक-दूसरे के राज्यों के अपराधियों के रिकॉर्ड दिए गए हैं। राज्यों में कितने अपराधी एक्टिव हैं, उनके नाम-पते के अलावा उनके फिंगर प्रिंट नाफिस (नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिटी फिकेशन सिस्टम) में अपलोड किए हैं। इसका फायदा यह होगा कि अपराधी इनमें से किसी भी राज्य में अपराध करता है, तो अपराध नाफिस में दर्ज किए जाते हैं। अपराधी का ब्यौरा सिस्टम में दर्ज होता है, तो नाफिस से उसकी पहचान होगी कि अपराधी कौन है। कहां का रहने वाला है।


