धमतरी

सीएम के आदेश पर कलेक्टर गंभीर, खुले बोर बंद करने अफसरों को सख्त हिदायत, अधिकारियों ने काम भी किया
19-Jun-2022 5:36 PM
सीएम के आदेश पर कलेक्टर गंभीर, खुले बोर बंद करने अफसरों को सख्त हिदायत, अधिकारियों ने काम भी किया

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 19 जून।
हाल ही में जांजगीर-चांपा में बोरवेल में 10 साल का बच्चा राहुल गिर गया था। जिसे प्रशासन की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाला। इस घटना की दोबारा घटना न हो, इसे ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने सभी कलेक्टर को तुरंत ऐसे गड्ढों को बंद करने का आदेश जारी किया। जारी आदेश में कहा गया है कि अफसर यह सुनिश्चित करें कि कोई बोरवेल खुला न हो, जिससे दुर्घटनाएं हो सकती हो, ऐसे बोरवेल को तुरंत बंद करें। इस काम की नियमित रूप से समीक्षा को भी कहा गया है, ताकि बोरवेल को बंद करना सुनिश्चित किया जा सके।

 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस आदेश को जिले के कलेक्टर पीएस एल्मा ने गंभीरता से लिया। उन्होंने समय सीमा की समीक्षा बैठक में अफसरों को सख्त हिदायत देकर खुले बोर बंद करने निर्देश दिया। इस पर प्रशासनिक अधिकारियों ने गंभीरता से काम किया। इसका फायदा यह हुआ कि जिले के कुरूद, नगरी, मगरलोड क्षेत्र में खुले कुछ बोरवेल को बंद किया गया। अच्छी बात यह कि जिले में एक भी ऐसा बोरवेल नहीं है, जो खुले हो। बंद किए गए बोरवेल की समय-समय पर निगरानी करने अफसरों को चेताया भी गया है। कलेक्टर खुद इसकी निगरानी कर रहे है।

बोरवेल खोदने के बाद खुला छोडऩे पर होते हैं हादसे
जमीन से लगातार पानी निकालने के दौरान एक समय ऐसा आता है जब पानी पूरी तरह से सूख जाता है या पानी काफी नीचे चला जाता है। ऐसे में दूसरे जगह नई बोर खोदकर पुरानी बोरिंग को वैसा ही खुला छोड़ दिया जाता है, जिससे यहीं खुले बोर हादसे का कारण बनते हैं। बच्चे अक्सर खेलने के दौरान या उत्सुक्ता में खुले बोरवेल में झांकने की कोशिश करते हैं और इसी दौरान कई बार हादसा हो जाता है। बोरवेल की चौड़ाई ज्यादा नहीं होती है। साथ ही गहरा होने के कारण बच्चों को वहां ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाती है। जिले में ऐसे कई बोरवेल थे, जो कि खुले में थे। सीएम के निर्देश और घटना की गंभीरता देख कलेक्टर पीएस एल्मा ने गंभीरता दिखाया।

कैसे मौत का फांस बन जाता है बोरवेल
सिंचाई और पेयजल आपूर्ति की जरूरतों के लिए बोरवेल बनाया जाता है। कई बार यह देखने में आया है कि कई फीट तक गहरे इन बोरवेल को उपयोग के बाद ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है। उसके आसपास घांस जम जाती है। ऐसे में अनजाने में कोई उस बोरवेल में गिर जाता है। कई बार बच्चे उत्सुकता से उसमें झांकने पहुंच जाते हैं और गिर जाते हैं। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुताबिक जिले में सामान्य रूप से 5 - 6 इंच या उससे कम व्यास के ट्यूबवेल का खनन किया जाता है। एहतियात के तौर पर ऐसे सभी बोरवेल की विस्तृत रूप से जांच करने का कार्य किया जा रहा है।
 


अन्य पोस्ट