धमतरी
सरकारी चावल की शहर में हो रही जमकर कालाबाजारी, अफसर मौन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 11 जून। जिले में पीडीएस योजना के तहत मिलने वाले चावल की जमकर कालाबाजारी की जा रही है। राशन दुकानों से चावल खरीदकर कुछ लोग सीधे इसे राइस मिलों में खपा रहे हैं। इसके बाद भी अधिकारी मौन हैं। दो महीने पहले 2 लोगों पर कार्रवाई भी की, लेकिन खानापूर्ति साबित हो गई।
गरीबों को सस्ता राशन उपलब्ध कराने के लिए शासन की ओर से राष्ट्रीय खाद्यान्न योजना शुरू की गई है। बीपीएल श्रेणी के पात्रता रखने वाले हितग्राहियों को अलग-अलग योजना के तहत सस्ते दरों पर चावल, शक्कर और मिट्टी तेल प्रदान किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य गरीबों को भरपेट भोजन उपलब्ध कराना है।
एक जानकारी के अनुसार धमतरी जिले में करीब करीब 2 लाख राशन कार्डधारकों हितग्राही है। इनमें से 1 लाख 70 हजार बीपीएल श्रेणी और 30 हजार एपीएल श्रेणी के उपभोक्ता है। बीपीएल श्रेणी के उपभोक्ताओं को प्रति सदस्य 7 किलो के मान से चावल, शक्कर और मिट्टी तेल प्रदान किया जा रहा है। तीन सदस्य से अधिक होने पर 35 किलो चावल, 1.200 किग्रा शक्कर और 2 लीटर मिट्टी तेल प्रदान किया जा रहा है।
बिचौलियों को बेच रहे चावल
गगन पटेल, मोहित साहू, धर्मेंद्र साहू, जानकी साहू ने बताया कि शहर के कुछ राशन दुकानों में हितग्राही 1 रुपए में किलो खरीदने के बाद उसे घर ले जाकर बिचौलियों को बेच रहे। उन्होंने बताया कि जिस महीने राशन दुकानों से मोटा चावल मिलता है, उसे बेच देते हैं। बिचौलिए सीधे राइस मिलों में ऊंची कीमत चावल को खपा रहे हैं। ऐसे में योजना के औचित्य पर ही सवाल उठने लगा है।
सिर्फ नाम की निगरानी समिति
शासन के आदेश पर सभी राशन दुकानों में निगरानी समिति बना दी गई है। इसमें सरपंच/पार्षद के अलावा बस्ती के गणमान्य नागरिकों को शामिल किया गया है। समय-समय पर वे दुकानों में पहुंचकर स्टॉक मिलान, रजिस्टर आदि की पड़ताल किया जाना है, लेकिन निगरानी नहीं हो पा रही। शायद यह भी एक वजह है कि खाद्य सामग्री की कालाबाजारी को बढ़ावा मिला है।
ऐसे होता है गरीबों के चावल का कारोबार
दुकानदार की मानें तो राइस मिलर पीडीएस चावल को 18 रुपए प्रति किलो की दर से खरीद रहे हैं। पीडीएस का चावल मोटा होता है। इसलिए उसे राइस मिलों में मशीन से छिलाई कर पतला करते हैं। पालिश कर चमक लाई जाती है। यही चावल बाजार में वापस आता है और 28 रुपए किलो में बिकता है। जिला खाद्य विभाग कार्ड धारकों की संख्या के हिसाब से सोसायटियों को चावल का आबंटन हर महीने देता है। बीपीएल के एक परिवार को 1 रुपये में 35 किलो चावल और बीपीएल को 10 रुपये प्रति किलो चावल के हिसाब से खाद्य विभाग आवंटन भेज देता है। एपीएल में एक बार राशन ले जाने के बाद हितग्राही दूसरे महीने नहीं ले जाते। यही बचा हुआ चावल आसानी से बेच दिया जाता है।
शहर नहीं गांवों में भी चल रहा खेल
पीडीएस चावल की कालाबाजारी का खेल शहर में ही नहीं गांवों में भी चल रहा है। कई अढ़तिया दलाल गांवों में पहुंचकर गरीबों से चावल खरीद रहे हैं। बीपीएल परिवारों को जहां 1 रुपये किलो में चावल मिल रहा है, वहीं एपीएल परिवार को 10 रुपये किलो में पीडीएस का चावल दिया जा रहा है। इस चावल को कई परिवार के लोग अढ़तिया दलालों के हाथों 15 से 18 रुपये किलो में बेच रहे हैं। शहर में जहां 15 रुपये में गरीबों का चावल लेने की खबर है, तो वहीं गांवों में 18 रुपये में पीडीएस वाला चावल लिया जा रहा है।


